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महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस-एनसीपी की साझा प्रेस कान्फ्रेंस, गठबंधन से पहले तमाम मुद्दों पर बात करना जरुरी

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एक लम्बे सियासी हंगामे के बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. लेकिन विचारों के एतबार से अलग अलग विचार रखने वाली सियासी पार्टियां गठबंधन को लेकर कितना तैयार है इसको लेकर वक्त की जरुरत महसूस की जा रही है. इसीलिए पिछले दिनों कांग्रेस और एनसीपी ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर दोनों पार्टी अभी विचार कर रही हैं. एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि गठबंधन के फैसले से पहले हर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शिवसेना ने हमसे आधिकारिक तौर पर 11 नवंबर को संपर्क किया था. इतने बड़े फैसले पर हमें विचार करने के लिए समय चाहिए. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने की वे आलोचना करते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में अलग-अलग राज्यों में असंवैधानिक तरीके से राष्ट्रपति शासन लगाकर इस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है.

 

अहमद पटेल ने आगे कहा कि राज्यपाल ने बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया लेकिन कांग्रेस को कोई न्योता नहीं दिया गया. हम इसकी आलोचना करते हैं.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हमें किसी बात की जल्दी नहीं है, हम पहले कांग्रेस के साथ चर्चा करेंगे और इसके बाद शिवसेना को समर्थन देने का फैसला लेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे महाराष्ट्र में दोबारा चुनाव नहीं चाहते हैं.

वहीं दूसरी तरफ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए राज्यपाल द्वारा बहुमत साबित करने के लिए समय ना देने की अपनी बात दोहराई. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया लेकिन उन्होंने सरकार बनाने से मना कर दिया. अगले दिन हमें न्योता मिला लेकिन हमें केवल 24 घंटे दिए गए जबकि हमें 48 घंटों की जरूरत थी. राज्यपाल ने हमें 48 घंटे देने से मना कर दिया.

उद्धव ठाकरे ने कहा कि एनसीपी और कांग्रेस ने हमसे वक्त मांगा है और उनके साथ हमारी बातचीत जारी है. उन्होंने कहा कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की विचारधारा भले ही अलग हों लेकिन हम साथ में काम करेंगे.

बीजेपी को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी से ढाई-ढाई साल के सीएम के बात हुई थी और वे सत्ता के लोभी नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि आखिर बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती और नितीश कुमार के साथ मिलकर सरकार कैसे बनाई. उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ जाने का विकल्प उन्होंने नहीं बल्कि बीजेपी ने खत्म किया.