दीपक मसला, अहमदाबाद: देश में लागू तालाबंदी के बाद इमारतों निर्माण काम से जुड़े श्रमिक और उनके परिवार अब रास्ते पर अपनी जिंदगी गुजारने पर मजबूर हो रहे हैं. लंबे तालाबंदी की वजह से राज्य के 12 लाख श्रमिक समुदाय के लोगों की मुश्किलें दिन ब दिन बढ़ती जा रही है.
राज्य के 12 लाख लोग कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी कर अपनी जिंदगी गुजारते हैं. ये लोग सख्त मेहनत कर लोगों के सर को ढ़ंकने का काम करते हैं. लेकिन उसी गगन चुंबी इमारत के बिल्कुल पास झोपड़ियाँ बनाकर खुले आसमान के नीचे रहते हैं. 12 लाख श्रमिकों में से 8 लाख लोगों ने तालाबंदी के बाद पैदल अपने घर जाने के लिए रवाना हो चुके हैं. जिसमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दाहोद, कच्छ भुज, हिम्मतनगर और राजस्थान के लोग शामिल हैं.
ऐसे श्रमिकों के लिए सामाजिक काम करने वाले एडवोकेट वनराजभाई का कहना है कि लाखों भटकते हुए मजदूर मुख्य सड़क को छोड़कर पुलिस के डर से रात में खेतों के रास्ते अपने घर जाने को मजबूर हो रहे हैं. राज्य के हजारों सेवाभावी लोगों को जैसे-जैसे पता चल रहा है वह तालाबंदी के बीच मदद करने आगे आते हैं. लेकिन ऐसे लोगों की संख्या इतनी बड़ी है कि तमाम लोगों मदद करना मुमकिन नहीं है. राज्य सरकार ने भी तीन दिन बाद बसों की व्यवस्था की लेकिन कोई मदद नहीं मिली. 4, 10,12 और 14 दिनों में कुछ श्रमिक अपने घर पहुंच गए हैं लेकिन कुछ लोग अभी भी रास्ते में है. विभिन्न स्थानों पर फिलहाल 1.50 लाख श्रमिक राहत शिविरों में हैं. ऐसे लोग अपने घर पहुँचना चाहते हैं. लेकिन वहाँ जाने के बाद भी उनके पास खाने-पीने के लिए पैसे नहीं हैं. इन मजदूरों के बच्चों को चॉकलेट, आइसक्रीम, मिठाई तो दूर दो समय का भोजन और दूध भी नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार को इन श्रमिकों की स्थिति पर विचार कर इनके लिए वित्तीय सहायता की घोषणा करनी चाहिए.
मेट्रो रेलवे के लिए काम करने वाले मजदूरों को खिलाते हैं पुलिस के जवान
अहमदाबाद के वस्त्राल इलाके में तालाबंदी के बीच फंसे मेट्रो रेल परियोजना के 25 श्रमिकों को वहां पर तैनात पुलिस के जवान खाना खिलाने की जिम्मेदारी उठाई है. पुलिस के जवान इन मजदूरों को लगातार 17 दिनों से खाना खिला रहे हैं.
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