हितेश चावड़ा, खेड़ा / आणंद: 25 मार्च को देश भर में लागू तालाबंदी की असर अब धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था के तीसरे हिस्से यानी खेती पर पड़ने लगा है. तालाबंदी की वजह से कृषि उत्पादों की बिक्री बंद हो गई और खेती के लिए आवश्यक उर्वरक अब एक निश्चित अवधि के लिए उपलब्ध नहीं. जिसकी वजह से गर्मियों में उगाई जा रही सब्जी और अन्य फसलों के लिए उर्वरक सही वक्त पर नहीं मिलने से किसान परेशान नजर आ रहे हैं. अगर पर्याप्त मात्रा में अनाज और सब्जियां उगाने में किसानों को कामयाबी नहीं मिलेगी तो यकीनन दाम में वृद्धि होगी.
मध्य गुजरात में मौजूद चरोतर जहाँ इन दिनों सब्जियों के उत्पादन का सीजन चल रहा है. लंबे तालाबंदी का असर दिहाड़ी मजदूरों के बाद अब कृषि उत्पादन पर भी पड़ने लगा है. क्योंकि बाजार में अन्य माल- सामना की तरह रासायनिक उर्वरक की मात्रा उपलब्ध नहीं है और लॉकडाउन में परिवहन बंद होने के कारण उर्वरक बाजार तक नहीं पहुंच रहा है. आनंद जिले के नापड इलाके के किसान महमूदभाई राठौड ने कहा, ” खेत में बाजरे की फसल है, यूरिया खाद की आवश्यकता किसानों को हो रही है. लेकिन जब हम खाद लेने गए तब पता चला कि परिवहन सेवा बंद होने की वजह से खाद की गाड़ियां नहीं आ रही. हम इस मामले को लेकर जल्द गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा से मुलाकात कर किसानों को होने वाली परेशानी से अवगत करवाने वाले हैं ताकि हमें जल्द खाद मिले और हम अपनी खेत में खड़ी फसल को बचा सकें.
तालाबंदी के दौरान गुजरात के किसानों को होने वाली परेशानी के मुद्दो को लेकर खेड़ा जिला पंचायत के पूर्व सदस्य दिलीपभाई सोढ़ा ने कहा, ” सरकार ने किसानों की स्थिति को तालाबंदी के ऐलान के वक्त समझा ही नहीं जिसकी वजह से किसानों को एक नहीं बल्कि कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है. इन दिनों खेत में बाजरा, जुवार की फसल के साथ ही साथ सब्जियां भी उगाई गई हैं. जिसकी वजह किसानों को खाद की सख्त जरुर है. लेकिन इन दिनों बाजार में किसी भी जगह खाद उपलब्ध नहीं है. जिसकी वजह से फसल और सब्जी उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है.
गर्मी की सीजन शुरू हो गई है गुजरात के किसान भयंकर गर्मी का सामना कर अपने खेतों में कड़ा परिश्रम कर फसल उगाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में अगर किसानों को वक्त पर खाद नहीं मिलेगी तो फसल के उत्पादन पर इसका असर जरुर पड़ेगा. अगर अनाज सब्जियों का उत्पादन कम होगा तो यकीनन इस दाम बढ़ेगा और फिर इस तालाबंदी की वजह से किसानों के साथ ही साथ कई लोगों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ेगा.
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