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कोरोना रिपोर्ट-3: सैलून का धंधा चौपट, 12 लाख गुजराती बेरोजगार, सैकड़ों करोड़ का रोजगार

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दीपक मसला, अहमदाबाद: कोरोना के बढ़ते आतंक की वजह से इन दिनों पूरे देश में तालाबंदी का दौर चल रहा है. ऐसे में सैलून व्यवसाय से जुड़े करीब 3 लाख नाई समुदाय और उनके परिवारों की आर्थिक रीढ़ को तोड़ दी है. इस महामारी ने नाई समाज के 12 लाख लोगों को प्रभावित किया है. ऐसे में लंबे तालाबंदी खत्म होने के बाद सैलून खोलने को लेकर सवाल खड़ा हो गया है.

गुजरात में अनुमानित 1 लाख छोटे- बड़े सैलून हैं. इसके अलावा, लेडीज ब्यूटी पार्लर 10000 हजार के आसपास बताया जा रहा है. इस व्यवसाय से लगभग 2 लाख लोग जुड़े हुए हैं जो कमीशन पर अपना जीवनयापन करते हैं. इस तरह देखा जाए तो नाई समाज के 12 लाख लोगों का जीवन इसी व्यवसाय से चलाता है. कोरोना महामारी की वजह से लागू तालाबंदी ने इनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया है. हालात से परेशान लोग जीवनयापन करने के लिए पुरानी परंपरा को एक बार फिर से जीवीत करने को मजबूर हो रहे हैं. इसीलिए ये लोग अब साहूकार से उधार पैसा ब्याज पर लेना शुरू कर दिया है. इस व्यवसाय से जुड़े 80 फीसदी लोगों के पास सैलून और घर का किराया अदा करना प्रशन खड़ा हो गया है. वहीं लंबे तालाबंदी की वजह से बिना काम घर चलाना भी बड़ा मस्ला साबित हो रहा है. 2 लाख कारीगर इस व्यवसाय में कमीशन पर अपना जीवनयापन करते हैं.

अहमदाबाद बार्बर एसोसिएशन के अध्यक्ष भूपेंद्र पनारा इस सिलसिले में जानकारी देते हुए कहते हैं कि “मेरी सरकार से अनुरोध है कि नाई समुदाय के इस व्यवसाय में शामिल लोगों को वित्तीय सहायता के रूप में प्रतिदिन कम से कम 230 की राशि दें, ताकि वे अपना जीवन व्यतीत कर सकें” तालाबंदी के बाद सैलून शुरू कर सकें हम अभी इस स्थिति में भी नहीं है. वहीं पालनपुर के कल्पेश नाई का कहना है कि, “ हमारे गाँव में सैलून चलाने वाले कुछ लोगों की हालत इतनी खराब हो गई है कि वह अपने घर की दैनिक जरुरतों को भी नहीं पूरा कर पा रहे हैं.

इस सिलसिले में अहमदाबाद के जशुभाई नाई ने कहा कि तालाबंदी की वजह से हम अपने गृहनगर में फंसे हुए हैं. काम तो बंद ही है लेकिन दुकान का भाड़ा हमें जरुर भरना पड़ेगा. सिर्फ मेरी ऐसी हालत नहीं है बल्कि मेरे कई दोस्त और रिश्तेदारों की भी यही हाल है. हेयर सैलून संचालक और शाहीबाग इलाके के एसोसिएशन अध्यक्ष अशोकभाई भी सरकार से प्रशिक्षण और सुरक्षा साधन देने की मांग कर रहे हैं. अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं कि राज्य सरकार समाज के असंगठित मजदूरों को 1000 रुपये की सहायता प्रदान करेगी. लेकिन इस छोटी सी राशि से 21 दिनों में होने वाले नुकशान की भरपाई कैसे मुमकिन होगा?

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