कोरोना महामारी के चलते लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया है. सरकार के दिशानिर्देशों के मुताबिक, बहुत जरूरी होने पर ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं लेकिन अगर आप ऐसा सोच रहे हैं कि घर में बंद रहने से कोरोना संक्रमण से बच जाएंगे तो आप गलत हैं. दरअसल एक अध्ययन में नतीजा सामने आया है कि बंद जगहों पर कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक है. यहां वायरस अधिक समय तक रह सकता है जबकि खुले स्थानों पर यह खतरा कम है.
‘सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन’ (सीडीसी) यूएसए के नए अध्ययन में ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं. सीडीसी यूएसए के नए अध्ययन में कई भ्रांतियों को दूर किया गया है जबकि तमाम नए खतरों से भी सावधान रहने को कहा गया है.
अध्ययन के मुताबिक, सतह से वायरस फैलने का खतरा बहुत कम है. इसे ‘लो रिस्क’ फैक्टर में रखा गया है यानि किसी बाहरी चीज, दीवार, गेट आदि से छुलने पर खतरे की गुंजाइश बहुत कम है जबकि सबसे अधिक खतरा भीड़भाड़ वाले स्थानों पर बताया गया है. इनमें प्रमुखत: शादी और विवाह समारोह, कार्यालय और सिनेमाघर आते हैं. इन्हें वेरी हाई रिस्क फैक्टर में रखा गया है. खुले में होने वाली गतिविधियां जैसे, खेलकूद, योगा, दौड़, कसरत आदि को कम खतरे वाला माना गया है. लिहाजा सावधानियां बरतते हुए कोरोना के बीच रहा जा सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईसीएमआर ने भी बंद स्थानों की खिड़कियां आदि खोलकर काम करने के दिशा-निर्देश दिए हैं. इन्हें बीच-बीच में खोला जाना चाहिए. इससे वायरस एक स्थान पर लगातार नहीं घूम पाएंगे. खिड़कियों के रास्ते ड्रापलेट्स बाहर चले जाएंगे.
सीडीसी के अध्ययन के मुताबिक, दूसरे को संक्रमित करने के लिए शरीर में कम से कम एक हजार वायरस पार्टिकल होने चाहिए जबकि सामान्य सांस लेने वाला व्यक्ति सिर्फ 20 वायरस पार्टिकल छोड़ता है. इसी तरह सामने खड़ा होकर बोलने वाला 200 वायरस पार्टिकल रिलीज (छोड़ता) करता है. एक संक्रमित खांसने और छींकने पर यह बढ़कर 200 मिलियन पार्टिकल बाहर छोड़ता है. यहीं सबसे अधिक खतरा है.
मालूम हो कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की रफ्तार अभी भी अपना भयंकर रूप दिखा रही है. कुछ देशों में संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी लेकिन भारत सहित कई देशों में संक्रमण की गति भयावह हुई है. दुनिया में अब तक 82.4 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं जबकि 4.46 लाख लोग इसकी वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं.
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