सुप्रीम कोर्ट में आज लॉकडाउन के चलते पैदल चलकर अपने-अपने घर जाने को मजबूर प्रवासी मजदूरों के खाने और रहने के इंतजाम करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई.
केंद्र की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि वो केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम पर कोर्ट में हलफनामा पेश करना चाहते हैं. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम पहले केंद्र की ओर से पेश किए जाने वाले हलफनामा को देखना चाहते हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी है.
जस्टि बोबडे ने कहा कि शहरी क्षेत्रों से वापसी की कोशिश करने वाले हजारों लोगों के बारे में उठाए जा रहे कदमों पर जवाब देने के लिए केंद्र को समय दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह डर और दहशत इस वायरस से भी बड़ी समस्या है.
Solicitor General Tushar Mehta, told the SC that the Union of India and all state govts are taking all necessary steps to mitigate the situation. He submitted to the SC that he wanted to file an affidavit while replying to the petition filed by the lawyer Alakh Alok Srivastava. https://t.co/xpOuaJqnVX
— ANI (@ANI) March 30, 2020
इससे पहले इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाते हुए जनहित याचिका दाखिल कर दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई. वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने याचिका में कहा कि कोरोना के चलते लॉकडाउन होने से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं. इनमें बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं और दिव्यांग भी शामिल हैं. उनके पास ना तो रहने की सुविधा है और ना ही ट्रांसपोर्ट की. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट देशभर में प्रशासन को आदेश दे कि इन लोगों को शेल्टर होम में रखकर सुविधाएं दी जाएं.
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