देश में बढ़ते कोरोना वायरस के प्रकोप को लेकर सरकार हर जरूरी सुविधा मुहैया कराने में जुटी हुई है. कोरोना से लड़ने को लेकर दवाओं के लिए चीन से आयात होने वाले कच्चे माल की दिक्कतों की वजह से सरकार ने देश में ही इनकी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए तैयारी शुरू की है. सरकार ने फार्मा सेक्टर के लिए करीब 10,000 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया गया है जिसका उद्योग जगत ने स्वागत किया है.
मोदी सरकार ने कहा है कि अगले पांच साल में करीब 3000 करोड़ रुपये के निवेश से देश में तीन ‘बल्क ड्रग पार्क’ बनाए जाएंगे. इसके अलावा सरकार देश में ही ड्रग इंटरमीडिएट, एक्टिव फार्मा इनग्रेडिएंट (एपीआई) यानी दवाओं के कच्चे माल की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए अगले आठ साल में करीब 6,940 करोड़ की रकम से प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) योजना लागू करेगी. शनिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दी थी. इससे भारतीय दवा उद्योग की दवाओं के मैन्युफैक्चरिंग में चीन पर निर्भरता कम होगी.
मालूम हो कि देश में दवाओं के उत्पादन के लिए जरूरी करीब तीन—चौथाई कच्चा माल चीन से आयातित होता है. लेकिन हाल के महीनों में चीन में कोरोना के प्रकोप की वजह से वहां के कारखाने बंद रहे और इसकी वजह से भारतीय दवा उद्योग के माथे पर सिकन बढ़ गई थी.
सरकार के इस कदम का उद्योग जगत ने स्वागत किया है. उद्योग चैम्बर फिक्की की फार्मास्यूटिकल्स कमिटी के अध्यक्ष और दवा कंपनी फाइजर के एमडी एस श्रीधर ने कहा, ‘जेनरिक दवाओं के मामले में भारत की फार्मा इंडस्ट्री दुनिया की अगुआ है और बड़ी मात्रा में वैश्विक जरूरतों को पूरा कर रही है. अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान सहित कई विकसित देशों को भी आपूर्ति होने वाली मेड इन इंडिया दवाएं अपनी सुरक्षा और गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं. सरकार की घोषणा स्वागतयोग्य है और दवा कंपनियां इसका पूरी तरह से समर्थन करती हैं.’