- अलग-अलग राज्यों में 50 से ज्यादा पत्रकारों पर दर्ज हुआ है मुकदमा
- भारत में पत्रकारों के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न की विदेश में उठी आवाज
- पीएम मोदी को खत लिखकर मुकदमा वासप लेने की किया मांग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में देश के अलग-अलग राज्यों में कई पत्रकारों पर केस दर्ज किया गया है.
इस मामले को लेकर दो अंतरराष्ट्रीय प्रेस संस्था ने पीएम मोदी को साझा पत्र लिखकर मांग किया है कि पत्रकारों के उत्पीड़न को रोकने के लिए वह फौरन कदम उठाएं.
पीएम मोदी को द इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट और इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने पत्र लिखा है.
भारत में पत्रकारों के खिलाफ बढ़ा उत्पीड़न
देश के अलग-अलग राज्यों में पत्रकारों के खिलाफ दर्ज होने वाले मामले की गूंज अब विदेश में उठने लगी है.
पत्रकारों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने पीएम मोदी को खत लिखकर आग्रह किया है कि वह देश के अलग-अलग राज्यों में पत्रकारों के खिलाफ दर्ज होने वाले मामलों को वह वापस लेना का निर्देश दें.
पत्र में कहा गया है कि सच्चाई को दिखाने वाले पत्रकारों पर राजद्रोह जैसे मुकदमें लगाए जा रहे हैं.
पीएम मोदी से मकदमें वापस लेने की किया मांग
बीते दिनों हाथरस गैंगरेप मामले की रिपोर्ट करने जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दकी कप्पन की गिरफ्तारी पर चिंता जाहिर की गई है.
इस पत्र में कोरोना महामारी के दौरान अलग-अलग राज्यों में पत्रकारों पर दर्ज होने वाले केस का भी उल्लेख किया गया है.
पत्र में एक रिपोर्ट का हवाला देकर बताया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान भूरे भारत में 55 पत्रकारों को निशाना बनाया गया था और इन पर राज्य सरकार अलग-अलग धाराओं के तहत केस चला रही हैं.
द इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट और इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने अपने पत्र में साफ कर दिया है कि ऐसे पत्रकारों को शिकार बनाया जा रहा है जो सरकार की आलोचना कर रहे हैं या फिर उनकी कमियों को दिखा रहे हैं.
इन संस्थाओं ने लिखा है कि स्वतंत्र मीडिया का होना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है. लेकिन पत्रकारों की आवाज को दबाने के लिए मशीनरी का इस्तेमाल करना गलत है.
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