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सत्ता की लालसा: सेवानिवृत्त होने के बाद विनय कुमार को GSPC में टिके रहना है

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GSPC के इतिहास में पहली बार एक्सटेंशन की मांगी गई मंजूरी

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय से की गई शिकायत

अनिल पुष्पांगदन, गांधीनगर: गुजरात राज्य पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (GSPC) के वरिष्ठ समूह कार्यकारी निदेशक विनय कुमार अक्टूबर 2020 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं.

लेकिन सत्ता की लालसा में विनय कुमार रिटायर होना ही नहीं चाहते.

जीएसपीसी के इतिहास में पहली बार किसी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति को 3 साल के विस्तार को मंजूरी देने के लिए सरकार से मंजूरी मांगी गई है.

विनय कुमार अनुबंध के आधार पर वरिष्ठ प्रबंधक के रूप में पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन में शामिल हुए थे. उन्हे सिर्फ 20 महीने के अंदर अपने जूनियर रह चुके सीनियर एग्जीक्यूटिव वाय.डी महिडा की नोट के आधार पर उन्हे उस वक्त के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय गुप्ता ने असिस्टेंट जनरल मैनेजर के रूप में पदोन्नति देकर सरकारी कर्मचारी बना दिया था.

अब इस मामले की शिकायत मुख्मयंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई है.

राज्य सरकार करेगी अंतिम फैसला

गुजरात राज्य पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (GSPC) के किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को इसकी स्थापना के बाद से आज तक कोई विस्तार नहीं दिया गया है.

जयेश दवे एकाउंट विभाग से सेवानिवृत्त होने वाले एकमात्र जनरल मैनेजर हैं जिन्हे सेवानिवृत्ति के बाद अनुबंध के आधार पर काम पर रखा गया था.

राज्य पेट्रोलियम निगम में पिछल कुछ महीनों से सीनियर ग्रुप एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विनय कुमार को 3 साल का विस्तार देने की प्रक्रिया चल रही है.

सूत्रों के मुताबिक, विनय कुमार को 3 साल का एक्सटेंशन देने की फाइल सरकार के पास पहुंच गई है. लेकिन अंतिम निर्णय सरकार द्वारा लिया जाएगा.

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अनुबंध पर जुड़े वाले विनय कुमार को बना दिया गया स्थायी कर्मचारी

विनय कुमार जुलाई 1999 में 15,750 रुपये के वेतन के साथ अनुबंध आधार पर वरिष्ठ प्रबंधक के रूप में गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम में शामिल हुए थे.

उन्होंने कंपनी के P&A (पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेशन) और PR (पब्लिक रिलेशंस) के काम-काज को देखते थे. अनुबंध के आधार पर काम करने वाले सीनियर मैनेजर विनय कुमार के अंडर में सीनियर एग्जीक्यूटिव के रूप में वाय डी महिडा काम करते थे.

2001 में सिर्फ 20 महीना के अनुभव के बाद मिल गई पदोन्नति

वाय. डी महिडा ने 23 मार्च, 2001 को कंपनी के तत्कालीन एमडी संजय गुप्ता को एक नोट लिखा था, जिसमें कहा गया था कि  “विनय कुमार 20 महीने से अनुबंध के आधार पर काम कर रहे हैं. वह जीएसपीसी की समूह कंपनियों GSPL, GSEG, GSFMC और अन्य कंपनियों का मीडिया को-आर्डिनेशन कम्यूनिकेशन और पीआर का काम देख रहे हैं. वह कंपनी के साथ पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से काम कर रहे हैं. इसलिए उन्हे असिस्टेंट जनरल मैनेजर के रूप में पदोन्नत किया जाना चाहिए.”

इस नोट के आधार पर कंपनी के तत्कालीन एमडी विनय कुमार ने 28 मार्च 2001 को 24,000 रुपये के वेतन के साथ सहायक महाप्रबंधक के रूप में पदोन्नत कर दिया था.

विनय कुमार 20 महीने से अनुबंध के आधार पर कंपनी से जुड़े थे लेकिन उन्हे स्थायी कर्मचारी बना दिया गया.

विनय कुमार मामले में नियमों का उल्लंघन

जीएसपीसी के सीनियर ग्रुप एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विनय कुमार के खिलाफ CMO और PMO को जिन विस्फोटक दस्तावेजों के साथ शिकायत की गई है वह दस्तावेज और सबूत गुजरात एक्सक्लूसिव के हाथ लगें हैं.

आम तौर पर किसी किसी भी सरकारी कंपनी में वरिष्ठ प्रबंधक को सहायक महाप्रबंधक के रूप में पदोन्नत करना हो तो कंपनी के निदेशकों की मंजूरी लेनी पड़ती है.

लेकिन विनय कुमार के मामले में उनका जूनियर सीनियर एग्जीक्यूटिव वाय. डी महिडा की नोट के आधार पर कंपनी के तत्कालीन एमडी ने मंजूरी की मुहर लगा दी थी.

इसके अलावा GSPC में कोई वरिष्ठ समूह कार्यकारी निदेशक का पद नहीं होने के बावजूद भी विनय कुमार का आईएस अधिकारियों के साथ होने वाले संबंध की वजह से वरिष्ठ समूह कार्यकारी निदेशक की विशेष नियुक्ति की गई.

विनय कुमार पिछले 21 सालों के दौरान जो अवैध कार्य किया है. अब इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई गई है.

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