कच्चे तेल के शीर्ष उत्पादक देश कीमतों में तेजी लाने के लिए उत्पादन में कटौती करने पर सहमत हो गए हैं. रविवार को पेट्रोलियम निर्यातक देशों के समूह (ओपेक) और रूस के बीच कच्चे तेल के उत्पादन को लेकर समझौता हो गया. पानी से सस्ते दर पर बिकने वाला क्रूड ऑयल फिर जल्दी ही $60 प्रति से बैरल जाने का अनुमान है जिसे भारत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
कोरोना के वजह से औंधे मुंह पडी अर्थव्यवस्था अब कच्चे तेल के मंहगाई का भी सामना करना पड़ेगा. गिरते अर्थव्यवस्था में तेल का सस्ता भाव भारत के लिए इस वक्त संजीवनी समान था. मालूम हो कि भारत अपनी जरूरत का 83% आयात करता है.
क्रूड ऑयल के दाम में प्रति बैरल हर एक डॉलर की तेजी से इंडिया के इंपोर्ट बिल में लगभग 2 अरब डॉलर की बढ़ोतरी होगी. एक अनुमान के मुताबिक, क्रूड के दाम में प्रति बैरल 10% वृद्धि से भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी के 0.4-0.5% बढ़ जाता है. 2018-19 में भारत ने 20.73 करोड़ टन तेल का आयात किया था. इसी तरह क्रूड के दाम में प्रति बैरल 10 डॉलर की उछाल आने पर देश की जीडीपी में 40 बेसिस पॉइंट की कमी आएगी.
इस फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘ओपेक प्लस के साथ अहम तेल समझौता हुआ है. इससे अमेरिका में ऊर्जा क्षेत्र की लाखों नौकरियां बच जाएंगी.’
The big Oil Deal with OPEC Plus is done. This will save hundreds of thousands of energy jobs in the United States. I would like to thank and congratulate President Putin of Russia and King Salman of Saudi Arabia. I just spoke to them from the Oval Office. Great deal for all!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) April 12, 2020
कुवैत के तेल मंत्री खालिद अल-फदेल ने रविवार को ट्विटर पर कहा, ‘हम उत्पादन में कटौती करने पर सहमति बनने की घोषणा करते हैं. ओपेक तथा अन्य उत्पादक देश एक मई से रोजाना उत्पादन में एक करोड़ बैरल की कटौती करेंगे.’ अधिकारियों ने बताया कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के समूह (OPEC) और दूसरे तेल उत्पादक देश प्रतिदिन 9.7 मिलियन बैरल उत्पादन कम करने पर सहमत हुए हैं. इसका मकसद तेल की कीमतों को बढ़ाना है.
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