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दर्दनाक 5 दिनों तक श्रमिक ट्रेन के शौचालय में पड़ा रहा प्रवासी मजदूर का शव

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तालाबंदी के बीच श्रमिक मजदूरों के लिए केंद्र सरकार ने विशेष ट्रेन चलाकर अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के घर वापसी का इंतजाम कर रही है. लेकिन श्रमिक विशेष गाड़ियों की लापरवाही और रेलवे विभाग की बदइंतजामी की वजह से प्रवासी मजदूरों को कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है.

अभी कल का ही मामला है जब पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ये कहते हुए नजर आए कि ट्रेनों में प्रवासी मजदूरों को मरने छोटी-मोटी बात है इसके लिए रेलवे को उत्तरदायी नहीं ठहरा जा सकता.

भूख, प्यास, इलाज के अभाव में बीमार प्रवासी मजदूरों की मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. बावजूद इसके प्रवासी मजदूरों की दुर्गती रुकने का नाम नहीं ले रही है. ऐसा ही एक मामला झांसी रेलवे यार्ड में खड़ी श्रमिक स्पेशल ट्रेन से जुड़ा है. इसके एक कोच के शौचालय में बुधवार की रात मजदूर का शव मिलने से हड़कंप मच गया.

मिल रही जानकारी के अनुसार 23 मई को झांसी से गोरखपुर के लिए एक श्रमिक एक्सप्रेस रवाना हुई थी. इस ट्रेन से जिला बस्ती के थाना हलुआ गौर निवासी मोहन शर्मा भी सवार था. वे मुंबई से झांसी तक सड़क मार्ग से आए थे. यहां बॉर्डर पर रोके जाने के बाद उनको ट्रेन से गोरखपुर भेजा गया था. वे जब चलती ट्रेन में शौचालय गए थे, तभी उनकी तबीयत बिगड़ गई और मौके पर उन्होंने दम तोड़ दिया. ट्रेन के 24 मई को गोरखपुर पहुंचने के बाद उनके शव पर किसी की नजर नहीं पड़ी.

सैनेटाइज करने के दौरान पड़ी सफाई कर्मचारी की नजर

इसके बाद ट्रेन के खाली रैक को 27 मई की रात 8.30 बजे गोरखपुर से झांसी लाया गया. यार्ड में जब ट्रेन को सैनिटाइज किया जा रहा था, तभी एक सफाई कर्मचारी की नजर शौचालय में शव पर पड़ी. सूचना पर जीआरपी, आरपीएफ, स्टेशन कर्मचारी व चिकित्सक मौके पर पहुंच गए. जांच के बाद जीआरपी ने पंचनामा भरकर शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया. मजदूर के पास मिले आधार कार्ड के आधार पर उसकी पहचान की गई. मजदूर के बैग व जेब से 28 हजार रुपये नकद मिले. साथ ही, एक मोबाइल नंबर मिला, जो गांव के सरपंच का था. सरपंच की मदद से परिजनों को हादसे की सूचना दी गई. शव का सैंपल भी कोरोना जांच के लिए भेजा गया है.

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