मध्य प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्य के 16 बागी कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय एक दिन के अंदर लिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि 16 बागी विधायकों की वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग होगी और अदालत इसके लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्ताव देते हुए कहा कि बागी विधायक तटस्थ स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष के सामने खुद को पेश कर सकते हैं. स्पीकर की ओर से नियुक्त वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील देते हुए कहा, बीजेपी की ओर से बार-बार सिर्फ फ्लोर टेस्ट फ्लोर टेस्ट की बात दोहराई जा रही है. ये सीधे सीधे स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम जोड़तोड़ को बढ़ावा देना नहीं चाहते. इस जोड़तोड़ को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट होना चाहिए.
कोर्ट में बहस के दौरान सिंघवी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में यूं दखल नहीं दे सकता. दलबदल कानून के तहत 2/3 विधायकों का पार्टी से अलग होना ज़रूरी है. अब BJP की ओर से इससे बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है. 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी. नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे. इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि अगर MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे? सिंघवी ने इससे इंकार किया. इस पर जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा – दोनों के अधिकारों में संतुलन ज़रूरी है. विधायकों को इस्तीफा देने का अधिकार है तो स्पीकर को फैसला लेने का अधिकार है.