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एम्स दिल्ली का नाम बदलने की योजना, डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर किया विरोध

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नई दिल्ली: एम्स के फैकल्टी एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर एम्स दिल्ली का नाम बदलने के प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त की है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अगस्त में दिल्ली समेत देश के 23 एम्स का नाम स्थानीय नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों और ऐतिहासिक घटनाओं या इलाके के स्मारकों के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा था.

मनसुख मंडाविया को भेजे गए एक पत्र में, FAIMS ने कहा कि एम्स दिल्ली की स्थापना 1956 में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल के मिशन और इस नाम से जुड़ी एक पहचान के साथ हुई थी. एसोसिएशन के मुताबिक अगर नाम बदला गया तो देश-विदेश में संगठन की पहचान खत्म हो जाएगी. पत्र में आगे कहा गया है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रसिद्ध संस्थानों का वर्षों से एक ही नाम है, जैसे ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और हॉवर्ड विश्वविद्यालय.

कुछ हफ्ते पहले, FAIMS ने अपने सभी सदस्यों को पत्र लिखा और उनसे इस मामले पर अपने विचार प्रस्तुत करने को कहा था. इसके जवाब में सदस्यों ने एम्स दिल्ली का नाम बदलने की इस चर्चा का विरोध किया था. FAIMS ने पत्र में कहा है कि यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो इससे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान होगा और मनोबल भी टूटेगा. एफएआईएमएस आपसे अनुरोध करता है कि कृपया एम्स दिल्ली का नाम बदलने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार न करें.

महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत, छह नए एम्स- पटना, रायपुर, भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर और ऋषिकेश को पहले चरण में मंजूरी दी गई है और पूरी तरह से चालू हैं. दूसरी ओर, 2015 और 2022 के बीच स्थापित 16 एम्स में से 10 संस्थानों ने एमबीबीएस और ओपीडी सेवाएं शुरू की हैं. जबकि अन्य दो ने केवल एमबीबीएस की शुरुआत की है.

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