दिल्ली हिंसा के पीछे भड़काऊ बयानबाजी के मामले को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने की मांग मान ली है. केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 हफ्ते का समय दिया है. इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही केंद्र सरकार की ओर से दलील देते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने चुनिंदा सिर्फ 3 वीडियो का हवाला दिया है, जबकि उसके अलावा भी बहुत सारे भड़काऊ भाषण वाले वीडियो हैं. मौजूदा माहौल इस बात के लिए उपयुक्त नहीं है कि हम चुनिंदा तरीके से उन्हीं तीन वीडियो (BJP नेताओ की स्पीच) को देखें. हमारे पास और भी ऑडियो और वीडियो क्लिप्स हैं.
सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से मांग की कि केंद्र सरकार को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाए. उन्होंने कहा- यह कोर्ट का विशेषाधिकार है कि वो केंद्र को पक्षकार बनने की इजाजत दे या नहीं. मेहता ने कहा, हम माहौल सामान्य करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. अभी के माहौल को देखते हुए कोर्ट का दखल उपयुक्त नहीं है.
केंद्र और पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने वालों पर मुकदमा दर्जे करने के लिए समय मांगा. अब तक कुल 48 मुकदमा दर्ज हुए हैं. पुलिस ने कहा कि अभी मुकदमा दर्ज करने का सही समय नहीं, सही वक्त आने पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा. दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने यह निर्णय लिया है कि फिलहाल भड़काऊ भाषण के मामले में किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं करेंगे.
दिल्ली पुलिस के अनुसार मामले में अब तक कुल 106 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर और भी गिरफ्तारी होनी है. पुलिस ने कहा कि उसे बाहरी लोगों की तस्वीरें मिली है और उनकी पहचान कर ली गई है. मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होनी है.