रविवार से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हो रही हिंसा अब थम चुकी है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हालात अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ते जा रहे हैं मिल रही जानकारी के अनुसार अबतक इस पूरे मामले में 34 लोगों की मौत हो चुकी है.
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में हुए हिंसा में मरने वालों की संख्या में लगाता इजाफा हो रहा है. रविवार, सोमवार और मंगलवार को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 34 लोगों की मौत हुई है, जिसमें पुलिस के जवान रतनलाल और आईबी अफसर अंकित शर्मा भी शामिल हैं. बुधवार को भी जाफराबाद, बाबरपुर, मौजपुर, सीलमपुर, भजनपुरा समेत नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के कुछ इलाकों में छिटपुट आगजनी और तोड़फोड़ की खबरें आईं, मगर पुलिस बल की भारी तैनाती से हिंसा के मामलों में कमी देखने को मिली. गुरुवार यानी आजा हिंसा के ताजा मामले सामने नहीं आए हैं, मगर जीटीपी अस्पताल से मरने वालों की संख्या में लगातार बढ़ने के आंकड़े आ रहे हैं.
कैसे शुरू हुई थी हिंसा:
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने रविवार को सड़क अवरुद्ध कर दी थी जिसके बाद जाफराबाद में सीएए के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प शुरू हो गई थी. दिल्ली के कई अन्य इलाकों में भी ऐसे ही धरने शुरू हो गए. मौजपुर में भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने एक सभा बुलाई थी जिसमें मांग की गई थी कि पुलिस तीन दिन के भीतर सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को हटाए. इसके तुरंत बाद दो समूहों के सदस्यों ने एक-दूसरे पर पथराव किया, जिसके चलते पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े.