गांधीनगर: भारत सरकार की कार्मिक मंत्रालय से जारी की गई ‘गुड गवर्नेंस’ की रिपोर्ट में पूरे हिन्दुस्तान को विकास के मॉडल का आईना दिखाने वाला मोदी-शाह का गुजरात कुल नव कैटेगरी में से पांच कैटेगरी के टॉप 10 में भी शामिल नहीं हो पाया है. कृषि, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे मामलों में गुजरात 11 वें जबकि सामाजिक कल्याण के मामले को लेकर 12 वें पायदान पर है. गुड गवर्नेंस को लेकर जारी रिपोर्ट में गुजरात की खस्ताहाली अपने अपमें राज्य सरकार की विफलता को उजागर करता है. ‘गुड गवर्नेंस’ की रिपोर्ट में गुजरात के विकास की कलई को खोलकर रख दिया है, इतना ही नहीं कानून-व्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर आने वाली रिपोर्ट ने गुजरात के विकास के तमाम दावे पर पानी फेर दिया है.
रिपोर्ट आने के बाद गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि राज्य सरकार हर साल बड़ी परियोजनाओं का ऐलान विधानसभा के अंदर और विधानसभा के बाहर कर करोड़ों रुपये के धन आवंटन की घोषणा करती है, लेकिन इस धनराशि का हकीकत में कहां इस्तेमाल किया जाता है उसकी हकीकत सामने नहीं आ रही, गुजरात में व्यापक पैमाने पर अलग-अलग विभाग में कर्मचारियों की कमी है, इतना ही नहीं कई विभागों में सहायक प्रथा, अनुबंध और आउटसोर्सिंग की वजह से प्रसाशनिक विभाग के कामकाज पर गंभीर असर हो रहा है. 2001के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और वर्तमान मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी पिछले 18 सालों से सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये त्यौहार, फ़ोटो फंक्शन और विज्ञापनों के नाम पर खर्च कर गुजरात नंबर का दावा कर रही है. विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें लेकिन वास्तव में गुड गवर्नेंस की रिपोर्ट में गुजरात काफी पीछे हो चुका है. भाजपा सरकार भले ही बड़ी-बड़ी घोषणा कर रही हों लेकिन केंद्र सरकार की ये रिपोर्ट अपने आपमें बहुत कुछ बयां कर रहा है. कुल नौ में से पांच श्रेणियों में गुजरात टॉप 10 में भी शामिल नहीं, कृषि, स्वास्थ्य और पर्यावरण में 11 वें और सामाजिक कल्याण में 12 वां पायदान हासिल कर अपने विफलता की कहानी बता रही है.
गुजरात की बीजेपी सरकार प्रशासनिक विफलता और भ्रष्टाचार में लिप्त होने की वजह से गुजरात 2001 तक 30,000 करोड़ का कर्ज था, जो 2019 में 2,40,000 करोड़ के कर्ज के साथ देश का अग्रणी ऋणी राज्य बन गया है. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोषी ने रिपोर्ट आने के बाद गुजरात सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि गुजरात में जन्म लेने वाला बच्चा 41,000 रुपये के कर्ज के साथ पैदा होता है. गुजरात सरकार प्रत्येक गुजराती पर 41,000 का कर्ज ले रखा है. विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार में गुजरात पहले स्थान पर है. महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामले में 31 प्रतिशत वृद्धि के साथ गुजरात अग्रिम स्थान पर है, आर्थिक अपराध में देश में पहले स्थान पर है. गुजरात में किसानों की आत्महत्या के मामले 38 प्रतिशत वृद्धि हुई है, गुजरात में 45 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं और 55 प्रतिशत महिलाएँ कुपोषण की भोग बन रही हैं, लड़कियों की शिक्षा में 47 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचार में हर दिन वृद्धि हो रही है. कानून व्यवस्था का अपने सबसे खस्ताहाली के दौर से गुजर रही है, सरकार बड़ी-बड़ी योजना के नाम पर करोड़ों रुपये की घोषणा करती है लेकिन परिणाम शून्य. केंद्र सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों ने गुजरात सरकार की पोल खोल कर रख दी है. ऐसे में गुजरात सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि कानून व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक, कृषि, पर्यावरण सहित मामलों में लगातार नाकाम क्यों हो रही है इसका जवाब दे.
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