Gujarat Exclusive > राजनीति > दूसरी बार महाराष्ट्र की गद्दी हासिल करने वाले देवेंद्र फडणवीस के सामने एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां

दूसरी बार महाराष्ट्र की गद्दी हासिल करने वाले देवेंद्र फडणवीस के सामने एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां

0
599

महाराष्ट्र के नागपुर में 22 जुलाई 1970 में पैदा होने वाले देवेंद्र फडणवीस का राजनीति से बचपन से रिश्ता रहा. उनके पिता गंगाधर राव फडणवीस जनसंघ के नेता थे और नागपुर से एमएलसी भी रह चुके हैं. उनकी चाची शोभा फडणवीस बीजेपी-शिवसेना की पहली सरकार में मंत्री थीं. 90 के दशक में वे नागपुर के मेयर थे और पहली बार 1999 में राज्य विधानसभा के लिए चुने गए. दूसरी बार महाराष्ट्र की सत्ता हासिल करने वाले फडणवीस का प्रशासनिक अनुभव सिर्फ मेयर के पद तक ही सीमित था. इससे पहले वे कभी किसी मंत्री के पद पर भी नहीं रहे. ऐसे में एक लम्बे सियासी ड्रामे के बाद सरकार बनाने में बीजेपी कामयाब तो हो गई है लेकिन सवाल ये उठता है कि आने वाले पांच सालों में फडवणीस को कौन कौन से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

आज जब लोग सो रहे थे तब महाराष्ट्र की सत्ता हासिल करने वाले फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘राज्य के लोगों ने हमें जनादेश दिया था. लेकिन नतीजों के आने के बाद शिवसेना ने दूसरी पार्टियों के साथ जाने का फैसला किया. जिस कारण राष्ट्रपति शासन लग गया. राज्य को स्थायी सरकार चाहिए न की खिचड़ी सरकार.’

तो वहीं एनसीपी से बगावत कर बीजेपी से हाथ मिलाने वाले राज्य के नये उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने शपथ लेने के बाद कहा कि नतीजे आने के बाद कोई पार्टी सरकार नहीं बना पा रही थी. राज्य में कई समस्याएं हैं जिसमें किसानों की समस्या भी है. इसलिए हमने एक स्थायी सरकार बनाने का फैसला किया है.

सबसे पहली चुनौती

महाराष्ट्र में किसान स्वावलंबी मिशन सम्मान योजना लागू करने के बाद भी फडणवीस सरकार के शासन में किसान आत्महत्या का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है. राज्य में फडणवीस सरकार आने के बाद सन 2015 से 2018 तक 12,021 किसानों ने आत्महत्या की है. इस साल जनवरी से मार्च तक ही 610 किसानों ने आत्महत्या की है.

अब आगे कौन कौन सी चुनौतियां हैं?

भले ही देवेंद्र फडणवीस अगले पांच वर्षों के लिए एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे गए हों लेकिन इस बार चुनौतियां और भी गंभीर हो गई हैं. सबसे पहली चुनौती तो होगी मराठा युवाओं को रोज़गार देना. फिर राज्य में बेरोज़गारी की समस्या से निबटना होगा. सरकार को राज्य में आर्थिक सुस्ती से भी जूझना होगा.

वहीं धनगर समुदाय को आरक्षण को लेकर भी कुछ फ़ैसले करने होंगे. किसानों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी और इन सब पर अगले पांच वर्षों में नतीजे देने होंगे.

इसके अलावा कई अधूरी परियोजनाएं पूरी करनी होंगी और इन स भी चुनौतियों से पार पाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. इन सबके साथ उन्हें बढ़ी हुई ताक़त वाली शिवसेना के दबाव और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विरोध का सामना भी करना पड़ेगा.

मिली कामयाबी

फडणवीस के सामने एक और बड़ी चुनौती महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा वर्चस्व का सामना और इस समुदाया का समर्थन प्राप्त करना था. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर वो सड़कों पर उतर गए और राज्य भर में बड़ी बड़ी रैलियों का आयोजन किया. इससे फडणवीस को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता था लेकिन फडणवीस ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने की घोषणा करके इस चुनौती को भी सफलतापूर्वक पार कर लिया.

राजनीतिक चुनौतियां

फडणवीस को अपनी पार्टी के अंदर ही प्रतिद्वंद्विता का सामना करना पड़ता है. नितिन गडकरी, एकनाथ खड़से, पंकजा मुंडे, विनोद तावड़े और चंद्रकांत पाटील सरीखे नेताओं को फडणवीस का मुख्य प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कैसे आने वाले पांच सालों में आपसी सहमती के साथ सरकार चलाने में कामयाब हो पाते हैं.

धनगर समुदाय के लोगों का वादा नहीं हुआ पूरा

2014 में एनसीपी प्रमुख शरद पवार बरामती चुनाव क्षेत्र में धनगर समुदाय के लोगों ने खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर धरना दिया. तब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे देवेंद्र फडणवीस वहां पहुंचे और इस मसले को हल किया.

उन्होंने वादा किया कि जब बीजेपी सत्ता में आएगी तब कैबिनेट की पहली ही बैठक में धनगर समुदाय के आरक्षण का मुद्दा लिया जाएगा. पांच साल बीत गए लेकिन न केवल धनगर समुदाय के आरक्षण का मुद्दा आज भी लंबित है बल्कि विधानसभा में इसे प्रमुखता से भी नहीं उठाया गया.

राजनीतिक सफर

संघ की विचारधारा में ढले फडणवीस में आरएसएस बहुत विश्वास रखता है. फडणवीस मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को अपनाया. महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में बहुत कम ही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपना मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा किया हो.

फडणवीस के सामने भी ऐसी संकट की स्थिति पैदा हुई लेकिन उन्होंने न केवल अंदरूणी प्रतिद्वंद्विता को काबू किया बल्कि गठबंधन की सहयोगी शिवसेना से उपजी प्रतिकूल परिस्थितियों का भी बखूबी सामना किया.
1999 में फडणवीस पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा में पहुंचे. उन्होंने नागपुर वेस्ट सीट से चुनाव जीता

साल 2001 में फडणवीस को भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया

साल 2004 में एक बार फिर नागपुर वेस्ट विधानसभा सीट से चुनाव जीता

फडणवीस ने 2009 में नई विधानसभा सीट नागपुर साउथ से चुनाव जीता और फिर विधायक चुने गए

साल 2014 में फडणवीस को महाराष्ट्र विधायक दल का नेता चुना गया

अक्टूबर 2014 में फडणवीस ने महाराष्ट्र के 18वें सीएम के तौर पर शपथ ली

2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भी फडणवीस ने नागपुर साउथ वेस्ट सीट से चुनाव जीता

23 नवंबर 2019 को फडणवीस ने एक बार फिर महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ली

राजनीति में आने के बाद फडणवीस का कद लगातार बढ़ता ही गया. उन्हें 1994 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का स्टेट वॉइस प्रेजिडेंट बना दिया गया. इसके बाद 1997 में फडणवीस नागपुर के मेयर बन गए. इसी तरह उनका आगे का राजनीतिक सफर काफी शानदार रहा.