मंजुला श्रॉफ की स्कूल डीपीएस ईस्ट में चलने वाले नित्यानंद के आश्रम का मामला चर्चा में आने के बाद मजबूरन शिक्षा विभाग ने डीपीएस ईस्ट की जांच अपने हाथों में ले ली, परंतु मुख्य सवाल यह है कि मंजुला श्रॉफ का कैलरोक्स फाउंडेशन विभिन्न शिक्षा इकाइयों के साथ बड़े पैमाने पर शामिल है. ऐसे में सरकार मंजुला श्रॉफ, हितेन वसंत और अमिताभ शाह के चाल, चरित्र और चेहरे पर विचार करते हुए, उनसे जुड़े अन्य शैक्षणिक ससंथानों की जांच करेगी?
मंजुला श्रॉफ और कैलोरेक्स फाउंडेशन द्वारा 40 से अधिक शैक्षिक उपक्रमों का प्रबंधन किया जाता है. जिसमें प्री-स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक शामिल है, ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या सरकार मंजुला श्रॉफ और उसके चौकड़ी के द्वारा कहां-कहां कितना भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की गई है, उसकी जांच करेगी? मंजुला श्रॉफ की कैलोरेक्स टीचर्स यूनिवर्सिटी, दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), कैलोरेक्स ओलिव इंटरनेशनल स्कूल, कैलोरेक्स पब्लिक स्कूल, केपीआरएस स्कूल के साथ-साथ ही बड़ी तादाद में शैक्षणिक संस्थान, नॉन प्रोफिट कंपनी और गैर सरकारी संगठनों का प्रबंधन मंजुला श्रॉफ एंव उनके सहयोगियों द्वारा किया जाता है. शिक्षा विभाग के प्राथमिक जांच में जब डीपीएस स्कूल को लेकर मंजुला श्रॉफ की धोखाधड़ी का खुलासा हो चुका है. ऐसे में क्या सरकार अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए मंजुला श्रॉफ ने शिक्षा के नाम पर कितना कर्म-कुकर्म किया है उसका गहराई से जांच करवाएगी?
मंजुला श्रॉफ द्वारा संचालित कैलोरेक्स यूनिवर्सिटी दिल्ली के दलालों से लेकर बेंग्लूरु के शिक्षा व्यापारियों के बीच जब पीएचडी और दूसरी उच्च डिग्रियों और सर्टिफिकेट की फैक्ट्री के तौर पर महशूर है. 50 हजार से लेकर 10 लाख रुपया तक सुबह डालो और शाम तक डिग्री निकलने का रिकॉर्ड है. यह जानकारी गांधीनगर में बैठे आला अधिकारियों, उच्च सचिव और मंत्रियों को भी है. तो, क्या केलोरेक्स यूनिवर्सिटी की जांच सरकार कराएगी? अथवा नित्यानंद के कुकर्मों से मीडिया, विपक्ष और समाज के दबाव में डीपीएस पर जांच करवा कर, सरकार मंजुला श्रॉफ द्वारा शिक्षा में हो रहे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को छुपा जाएगी?
कैलोरेक्स यूनिवर्सिटी के DPR ( डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के अनुसार यूनिवर्सिटी को मात्र “विशेष शैक्षणिक डिग्री” के लिए गुजरात सरकार और यूजीसी( यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) ने मान्यता दी है. जबकि अभी कैलोरेक्स यूनिवर्सिटी कोई भी डेवलपमेन्ट किये बिना साबरमती यूनिवर्सिटी में बदल गई है और भारी पैमाने पर उच्च डिग्री और सर्टिफिकेट दिये जा रहे हैं.
क्या सरकार इस मामले को ध्यान में लेगी और कैलोरेक्स टीचर्स यूनिवर्सिटी को किस तरीके से साबरमती यूनिवर्सिटी नाम की पूर्ण यूनिवर्सिटी में तब्दील किया गया उसपर गौर करेगी. कौन-कौन से नकली दस्तावेज तैयार किया है(?), जिसकी वजह से विशेष शिक्षण के लिए शुरु होने वाली कैलोरेक्स टीचर्स यूनिवर्सिटी बिना कोई डेवलपमेंट किए पूर्ण यूनिवर्सिटी में तब्दील हो गई.
कैलोरेक्स यूनिवर्सिटी को जब साबरमती यूनिवर्सिटी के नाम से पूर्ण यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया उस दौरान कितने फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए हैं? कितने अधिकारियों की मिलीभगत से पूरे खेल को अंजाम दिया गया है? जिसके कारण दस सालों तक यूजीसी की कम्पलाएन्स और फाइनल इन्सपेक्शन के बिना पूरा हुए, एक नई यूनिवर्सिटी को, नये नाम से पूर्ण यूनिवर्सिटी का मान्यता प्रदान कर दी गई है. क्या सरकार मंजूला श्रॉफ के फर्जी दस्तावेजीकरण के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए कैलोरेक्स टीचर्स यूनिवर्सिटी उर्फ साबरमती यूनिवर्सिटी की जांच कराएगी?
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