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जागरूकता है कोरोना से लड़ने और सुरक्षित रहने का इकलौता हथियार: डॉ कमलेश उपाध्याय

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जैनुल अंसारी, अहमदाबाद: विश्व के कई देशों के साथ-साथ भारत भी कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ रहा है. तेजी से बढ़ते इस महामारी ने जवाब से ज्यादा सवाल पैदा कर दिए हैं. महामारी कब खत्म होगी? क्या हम दोबारा संक्रमित हो सकते हैं? यदि हां, तो इसकी कितनी संभावना है? ऐसे कई सवाल पैदा हो चुके हैं जिन पर लोगों की अलग-अलग राय सामने आ रही है.

इस बीच बीजे मेडिकल कॉलेज और सिविल मेडिसिन डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. कमलेश उपाध्याय ने गुजरात एक्सक्लूसिव के साथ बातचीत में इस बीमारी को लेकर चल रही तमाम मिथकों पर से पर्दा उठाया.

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि दुनिया भर में कोरोना रोगी में दोबारा संक्रमण के मामले बहुत कम हैं. उन्होंने कहा कि उपलब्ध शोध के अनुसार, शरीर से वायरस को नष्ट करने की प्रक्रिया धीमी गति से होती है और जब वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं होता है तो हम इसे दोबारा संक्रमण के रूप में देखते हैं.

उन्होंने कहा कि आरटी-पीसीआर या एंटीजन टेस्ट वायरस का पता लगाने के लिए किया जाता है. कोरोना संक्रमण फेफड़ों में पाया जाता है जो नाक में पाए जाने वाले की तुलना में कहीं अधिक गंभीर है. उन्होंने बताया कि चूकि वायरस के केवल आनुवंशिक संरचना का ही विस्तार से अध्ययन किया गया है और जब आप इसे दोबारा संक्रमण कहते हैं तो यह अलग तरह से नजर आता है. डॉ. उपाध्याय ने स्पष्ट किया कि एक बार संक्रमित होने के बाद मरीज के दोबारा संक्रमित होना मिथक है.

डॉ. उपाध्याय ने कहा, “सोशल मीडिया पर ऐसे कई मैसेज चल रहे हैं जिसमें कहा जा रहा है कि एक व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडीज बनने के बाद केवल तीन महीने तक रहेगी और उसके बाद बीमारी से लड़ने के प्रति उसे अतिसंवेदनशील बनाती है. ऐसी जानकारी गलत है और बिना किसी वैज्ञानिक आधार के है.”

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उन्होंने कहा कि हर्ड इम्यूनिटी भी बढ़ गई है जो बीमारी को ज्यादा प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद करती है. हमें जागरूकता की जरूरत है ना कि डरने की. यहां तक कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद उबर चुके व्यक्ति को भी मास्क पहनने की जरूरत है, उसे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की जरूरत है और नियमित तौर पर हाथ धोने की जरूरत है.

यदि किसी मरीज को फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है, तो उसे अपने फेफड़ों को मजबूत करने के लिए स्पाइरोमेट्री व्यायाम, योग और प्राणायाम जारी रखना चाहिए.

सुरक्षित रहने के उपाय

-हमेशा मास्क पहनें. यदि आप कोरोना से संक्रमित होने के बाद उबर चुके हैं तब भी इसे पहनना जारी रखें.
-हमेशा पर्याप्त दूरी बनाए रखें.
-नियमित रूप से अपने हाथ और चेहरा धोएं. गर्म पानी से गरारे करें.
-विक्स के साथ या बिना भाप लेना जारी रखें.
-जब भी संभव हो बाहर से आने के बाद हमेशा स्नान करें.
-डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें.
-ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल जैसे बीमारी से जुड़े फैमली हिस्ट्री वाले 40 साल से ऊपर के लोगों को टेस्ट करना चाहिए, चाहे लक्षणों दिखें या नहीं.

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हर्ड इम्यूनिटी

-कोरोना अब नए इलाकों में अपना पैर पसार रहा है जबकि पहले जहां ज्यादा मामले आ रहे थे वहां अब नए मामलों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है. इसका मतलब है कि वहां हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो रही है. हर्ड इम्यूनिटी क्षेत्रों के आधार पर विकसित होती है.

सरकार की कार्य योजना

सरकार ज्यादा पॉजिटिव मामलों की पहचान करने के लिए कोरोना टेस्ट बढ़ा रही है. शुरुआती में पता लगाने से इस बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है और रोग के शुरुआती चरणों में उपचार भी मिल सकता है. दूसरे देशों में जहां कोरोना के मामले कम हो रहे हैं तो भारत में क्यों बढ़ रहे हैं, इस सवाल के जवाब में डॉ. उपाध्याय ने कहा कि हमारे देश की आबादी बहुत ज्यादा है और जनसंख्या घनत्व भी अधिक है. इसके अलावा उन्होंने कहा, कई रोगी बिना लक्षण वाले हैं और इसलिए वे अनजाने में दूसरों को संक्रमित करते हैं.

वायरस के प्रसार के तीन चरण

1. मामला
2. क्लस्टर
3. सामुदायिक प्रसार

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान में हम क्लस्टर चरण में हैं और धीरे-धीरे सामुदायिक प्रसार की ओर बढ़ रहे हैं. लेकिन जहां तक बीमारी के बढ़ने की बात है तो अगर हम सावधान रहें और अधिक जागरूक रहें तो हम संक्रमण की चेन को सफलतापूर्वक तोड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि देश को कोरोना पर नियंत्रण पाने में कम से कम डेढ़ साल लगेगा.