नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में भड़की हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 से ज्यादा शहरों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं. बीते गुरुवार से बंद मोबाइल इंटरनेट सेवा की वजह से राजधानी लखनऊ, कानपुर, मेरठ जैसे तमाम शहरों में ओला-उबर की टैक्सी सेवा से लेकर ऑनलाइन खाने की डिलीवरी देने वाली कंपनियों- स्विगी, जोमैटो, उबर ईट्स के हज़ारों डिलीवरी ब्वॉय बेकार बैठे हैं, इतना ही नहीं जीएसटी का मासिक रिटर्न भी कारोबारियों ने जमा नहीं करवा सकें. दुकानों पर कार्ड स्वाइप न होने के चलते धंधे में कमी आयी है और डिजिटल लेनदेन ठप पड़ा हुआ है.
यूपी में व्यापारी संगठनों का कहना है कि मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद हो जाने के बाद से अब तक 2000 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है. मंगलवार को सुबह कुछ देर के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ चालू तो की गईं पर एक बार फिर से प्रदेश सरकार के हस्तक्षेप के बाद इसे बुधवार यानी 25 दिसंबर को रात 8 बजे तक के लिए बंद कर दिया गया.
ओला-उबर, स्विगी-जोमैटो का काम ठप
अकेले राजधानी लखनऊ में ओला व उबर टैक्सी सेवाओं के तहत 8500 गाड़ियाँ चलती हैं. बीते पाँच दिनों से इनमें से इक्का-दुक्का ही सड़कों पर दिख रही हैं. इन दोनों सेवाओं की बुकिंग मोबाइल एप के ज़रिए ही होती हैं जो इंटरनेट बंद होने से बेकार हैं, राजधानी में 6000 से ज़्यादा बाइकर्स ओला व उबर को सेवाएँ देते हैं जो मोबाइल इंटरनेट बंद होने के बाद से खाली बैठे हैं. अफ़वाहों पर लगाम लगाने के लिए केवल मोबाइल इंटरनेट बंद किया गया है. इस पर व्यापारियों का कहना है कि मोबाइल एप के जमाने में बड़े पैमाने पर क़ारोबार इसी पर निर्भर है जो कि पाँच दिनों से बंद है.
हालात जल्द सुधरने की उम्मीद
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ वैसे तो पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन दिल्ली के बाद सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में लोग रास्ते पर उतरकर इस कानून को वापस लेनी की मांग करते हुए नजर आए, ऐसे में सरकार ने प्रदेश में शांति का माहौल स्थापित करने और लोगों को अफवाहों से बचाने के लिए इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया है. लेकिन अब जल्द ही राज्य में नेट सेवा बहाल होने की उम्मीद जताई जा रही है.