अहमदाबाद: इन दिनों पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं. पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने आम आदमी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. तेल की बढ़ी कीमतों का सीधा असर अब किराना, सब्जी और फल की कीमत पर पड़ने लगा है. मौजूदा हालात को देखकर ऐसा कहा जा रहा है कि देश को हर दिन महंगाई की खाई में धकेला जा रहा है. खाद्य तेल गरीबों की पहुंच से हर गुजरते दिन के साथ दूर होता जा रहा है. मूंगफली और कपासिया का तेल प्रति लीटर 25 रुपया महंगा हो गया है. कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मूंगफली तेल का 15 लीटर वाला डिब्बा 2400 रुपये के पार पहुंच गया है. जबकि कपासिया तेल का डिब्बा 2300 को पार कर गई है. Edible oil prices rise
खाद्य तेल की कीमते आम आदमी की पहुंच से दूर Edible oil prices rise
कीमतों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण मांग के अनुसार कच्चा माल उपलब्ध नहीं होना बताया जा रहा है. हालांकि कपासिया तेल की कीमतों में 15 दिनों में दूसरी बार बढोत्तरी दर्ज की गई है. मौजूदा हालात को देखकर ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों में लोगों को इससे भी ज्यादा महंगा तेल खरीदना पड़ेगा. इतना ही नहीं आने वाले दिनों में त्योहारों का सीजन भी आ रहा जिसकी वजह से भाव वृद्धि की उम्मीद ज्यादा बढ़ गई है. Edible oil prices rise
सरकार की कोशिश का नहीं दिखा असर Edible oil prices rise
सरसो, सोयाबीन, रिफाइंड, सूरजमुखी, पॉम आयल जैसे खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए मोदी सरकार पिछले माह एक अहम कदम उठाया था. कच्चे पाम तेल पर लगने वाला आयात शुल्क की मानक दर को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया था. देश के कुल खाद्य तेल की खपत में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला पॉम ऑयल की कीमतें बहुत जल्द कम होने की उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन सरकार की कोशिशों का कोई असर इन दिनों दिखाई नहीं दे रहा है. Edible oil prices rise
सट्टेबाजों की मुनाफाखोरी जिम्मेदार
व्यापारी यह भी सोच रहे हैं कि मूंगफली और कपास के पर्याप्त उत्पादन और बाजार में पर्याप्त आय के बावजूद तेल की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं. इस सिलसिले में जानकारी देते हुए अहमदाबाद ऑयल एसोसिएशन के सचिव हर्षवर्धन शाह ने कहा कि तेल की कीमतों में वृद्धि के लिए सट्टेबाजों की मुनाफाखोरी जिम्मेदार है. अचानक तेल की कीमत बढ़ गई है. दिवाली के बाद से कीमतें लगातार बढ़ी हैं. भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है. नवंबर में आयात 6.46 लाख टन पाम ऑयल, 2.63 लाख टन सूरजमुखी तेल, 1.64 लाख टन सोयाबीन तेल को मिलाकर 11.27 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया गया था. इसका मतलब यह है कि तेल की कमी नहीं है बावजूद इसके बाजार में तेल की कीमतों में उछाल जारी है. Edible oil prices rise
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