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चुनाव इफेक्ट: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी वृद्धि, लेकिन देश में पेट्रोल-डीजल के भाव स्थिर

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नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बार फिर कच्चे तेल की कीमत बढ़कर 84 डॉलर के पार पहुंच गई है. कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ोतरी हो रही है, हालांकि देश में पिछले 68 दिनों से पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़े हैं. इसे चुनावी राहत कहें या फिर आपकी खुशनसीबी! जो भी हो, बीते 68 दिनों से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि पांच राज्यों के चुनावों के मद्देनजर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है.

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आखिरी बार 4 नवंबर, 2021 को वृद्धि दर्ज की गई थी. लेकिन उसी दिन सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कमी की घोषणा कर लोगों को बड़ी राहत दी थी. तब से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

2017 में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दैनिक बदलाव की शुरुआत के बाद पहली बार इतने लंबे समय तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. 4 नवंबर 2021 को एक लीटर डीजल पर उत्पाद शुल्क में 10 रुपये और एक लीटर पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपये की कमी की गई थी. जिसकी वजह से दिल्ली में इस समय एक लीटर पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये और एक लीटर डीजल की कीमत 86.67 रुपया है.

गौरतलब है कि जब चुनावी सीजन नहीं चल रहा था और हर दिन कीमतों में वृद्धि दर्ज की जा रही थी. उस समय केंद्र सरकार दावा करती थी कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के अधीन हैं, इसलिए हम इसमें बदलाव नहीं कर सकते. हालांकि इन दिनों एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी वृद्धि दर्ज की जा रही है. बावजूद इसके देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ रहे हैं. क्योंकि अगर कीमतों में वृद्धि की जाएगी तो इससे चुनावों में सरकार की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू जाएंगी और यह तर्क दिया जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ रही हैं.

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