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तालाबंदी के दौरान पलायन: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा दिहाड़ी मजदूरों के लिए किया जा रहा है…

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कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लगाए गए लॉकडाउन के बीच गरीबों और मजदूरों के पलायन और उनके खाने-पीनी की व्यवस्था पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हो रही है. माइग्रेंट वर्कर्स के रहने और खाने-पीनी की सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग वाली वकील एए श्रीवास्तव द्वारा दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अंतरराज्यीय आवाजाही पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि 22 लाख 88 हजार से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. ये जरूरतमंद व्यक्ति, प्रवासी और दिहाड़ी मजदूर हैं. उन्हें आश्रयों में रखा गया है. उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन की वजह से पैनिक का हल निकालने के लिए परामर्श प्रदान करने पर विचार कर रहे हैं.

बता दें कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर गरीब लोगों के लिए मेडिकल सुविधा, खाने-पीने की व्यवस्था, राहत शिविर को लेकर सरकारों को दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में गरीब ही नहीं बल्कि देश के मध्य वर्ग के जो कि करदाता है वो भी प्रभावित हुए हैं.

कोरोना लॉकडाउन के बाद शहरों में काम करने वाले गरीब और पैदल ही अपने गांव और शहर की ओर निकल रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर में इनसी संख्या हजारों में हैं जो कि पैदल ही अपने घर के लिए निकल गए हैं. घर वापस जा रहे लोगों की माने तो इनके सामने सबसे बड़ी समस्या खाने और रहने की है. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से कंपनियों में काम ठप हो गया है. अब इनके पास न तो खाने के लिए पैसे हैं और न ही रहने के लिए, ऐसे में इनके पास घर जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. हालांकि राज्य सरकारें इनकी मदद के लिए आगे आईं हैं.

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