कृषि कानूनों (Farm Laws) किसानों और सरकार के बीच सिलसिलेवार बातचीत का कुछ खास असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है. 57 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान ने एकबार फिर सरकार की मांग को ठुकरा दिया है. सरकार की ओर से बुधवार को कृषि कानूनों (Farm Laws) को डेढ़ साल के लिए रोकने का प्रस्ताव किसानों के समक्ष रखा गया था लेकिन आंदोलनरत किसानों ने इसे ठुकरा दिया.
सयुंक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा,
”आम सभा में सरकार द्वारा कल रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात, इस आंदोलन की मुख्य मांगो के रूप में दोहराई गई.”
उधर संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से इस आंदोलन में अब तक शहीद हुए 147 किसानों को श्रद्धाजंलि अर्पित कमी गई.
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क्या था सरकार का प्रस्ताव
मालूम हो कि सरकार की ओर से रखे गए प्रस्ताव में कहा गया था कि वह एक विशेष समिति गठित करने को तैयार है जो तीनों नए कानूनों (Farm Laws) के साथ-साथ किसानों की सारी मांगों पर विचार करेगी. सरकार ने यह भी प्रस्ताव रखा था कि जब तक समिति समीक्षा पूरा नहीं कर लेती, तीनों नए कानूनों (Farm Laws) को डेढ़ साल तक स्थगित रखा जाएगा.
पुलिस के साथ वार्ता में भी किसान अड़े
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद्द करने की मांग को लेकर किसानों ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally of Farmers) निकालने का ऐलान किया है. इसी मुद्दे पर किसान संगठनों और दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस के बीच आज बैठक हुई. बैठक में किसानों ने साफ किया है कि वो हर हाल में दिल्ली के आउटर रिंग रोड में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे.