नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर 15 महीने से डेरा डाले हुए किसान शनिवार को अपना आंदोलन खत्म कर पंजाब और हरियाणा में अपने घरों की ओर रवाना हो चुके हैं. इसको फतेह मार्च नाम दिया गया है. किसानों ने आंदोलन का रास्ता अपनाकर केंद्र सरकार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था.
आंदोलन समाप्त होने के बाद किसान अब धरना स्थल से अपने अस्थायी आवासों को हटा रहे हैं. आंदोलन के दौरान किसानों को कभी ‘आतंकवादी’ और कभी ‘खालिस्तानी’ कहा गया था. बावजूद इसके किसानों ने हार नहीं मानी और सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था. ट्रैक्टर से घर जा रहे किसानों को बधाई देने के लिए हाईवे के किनारे खास इंतजाम किए गए हैं. इस मौके पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि धरना स्थलों को खाली करने में चार से पांच दिन लगेंगे.
पहले विजय मार्च शुक्रवार के लिए निर्धारित किया गया था लेकिन तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर दुर्घटना के कारण स्थगित कर दिया गया था जिसमें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत सहित 13 लोगों की मौत हो गई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को प्रकाश पर्व के मौके पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था. इतना ही नहीं संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक दोनों सदनों में पारित किया जा चुका है. बावजूद इसके किसान आंदोलन खत्म करने का नाम नहीं ले रहे थे. लेकिन सरकार ने किसानों के सभी मांगों को मान लिया था जिसके बाद किसानों ने आंदोलन को स्थगित करने का ऐलान किया था.
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