नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा तीनों विवादित कानूनों के वापसी के बाद आज किसानों ने आंदोलन को खत्म करने का ऐलान कर दिया है. केंद्र सरकार की ओर से लंबित मुद्दों को समाधान के लिए ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद सहमति बन गई है. सरकार ने किसानों की लगभग सभी मांगों को मान लिया है जिसके बाद अब किसान आंदोलन खत्म करने का फैसला किया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने आज आंदोलन को खत्म करने का ऐलान किया जिसके बाद राजनीतिक दल से जुड़े लोगों की प्रतिक्रिया सामने आई है.
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मामले को लेकर कहा कि यह ऐतिहासिक आंदोलन की ऐतिहासिक जीत है. अब समय आ गया है कि MSP को क़ानूनी रूप दिया जाए. बहुत मांगों को सरकार ने लिखित रूप से स्वीकार किया है, उसपर सरकार की क्या नज़र रहती है, उसपर हमारी नज़र रहेगी. हमारें होठों पर मुस्कान है लेकिन आंखें नम हैं.
किसानों द्वारा आंदोलन समाप्त करने पर केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि इस सरकार ने टकराव का रास्ता नहीं टॉक का रास्ता अपनाया है. संवेदनशीलता के साथ बातचीत का रास्ता अपनाया है. सरकार की नीति और नियत अन्नदाताओं, कृषि के पक्ष में है. यह हर व्यक्ति समझता है, वह भी समझ रहे हैं.
शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने किसानों द्वारा आंदोलन खत्म करने के ऐलान पर भाजपा और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि ये 378 दिन का जो किसान आंदोलन चला है, सबसे पहले संसद में इस्तीफा शिरोमणि अकाली दल ने दिया था. अगर हमारी बात सुन ली गई होती तो 700 लोगों की जान नहीं जाती. कांग्रेस पार्टी ने अगर विपक्ष का फर्ज़ निभाया होता तो शायद ये बिल पास ही नहीं होते.
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