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सुप्रीम कोर्ट में किसानों ने कहा- हमने सड़क जाम नहीं किया, कोर्ट ने कहा- समाधान निकालना होगा

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नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू तीनों कृषि कानून को लेकर किसान बीते एक साल से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डंटे आंदोलन कर रहे हैं. जिसकी वजह से कई हाईवे बंद हो गए थे. सीमा से किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच के सामने मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि हम किसानों के प्रदर्शन के खिलाफ नहीं है लेकिन इस तरीके से सड़कों को बंद भी नहीं किया जा सकता है.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसानों की ओर से दलील देते हुए अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि न तो सड़क जाम है और न ही किसानों ने जाम किया है.” उन्होंने कोर्ट से किसानों को रामलीला मैदान में आने की इजाजत देने की मांग की. उन्होंने कहा कि किसानों को रामलीला मैदान में प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जा रही. लेकिन भाजपा को रैली करने की अनुमति दी जाती है.

सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, “सड़क साफ होनी चाहिए. हम बार-बार इसे कानून से तय नहीं कर सकते. आपको विरोध करने का अधिकार है लेकिन आप सड़क को अवरुद्ध नहीं कर सकते. जिन लोगों को उस सड़क से आना-जाना होता है उनको जाम की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. सॉलिसीटर जनरल ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस विरोध प्रदर्शन का मकसद दरअसल किसान आंदोलन न होकर कुछ और है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कृषि कानूनों पर रोक लगा चुका है. कभी-कभी आंदोलन वास्तविक कारण से नहीं बल्कि अन्य कारणों से होता है. जिस पर एडवोकेट दवे ने पूछा- क्या कृषि कानून एक अप्रत्यक्ष मुद्दा है? इससे वह किसानों की सच्चाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं. जिस पर मेहता ने कहा- यहां सिर्फ 2 किसान संगठन आए हैं, जिस पर जज जस्टिस कौल ने कहा- हम किसी को यहां आने के लिए मजबूर नहीं कर सकते.

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