हितेश चावड़ा, गांधीनगर: गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat HC) ने आदेश दिया है कि जिन किसानों (Farmers) को 2017 में बाढ़ के कारण नुकसान हुआ है, उन्हें राज्य सर्वेक्षण के बाद उनके फसल बीमा के दावे का भुगतान किया जाए. इसके लिए राज्य को तीन महीने का समय दिया गया है.
यह आदेश विनोद चावड़ा और अन्य द्वारा उनके वकील सुबोध परमार और संग्राम चिन्नाप्पा के माध्यम से दायर एक याचिका के बाद आया है. याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि 2017 के खरीफ सीजन की फसल बाढ़ के कारण बर्बाद होने के बाद फसल के नुकसान के लिए उन्हें बीमा दावे का भुगतान किया जाना है.
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किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमा किया गया था और वे मुआवजे के हकदार थे लेकिन कई बार गुहार लगाने के बावजूद भुगतान नहीं मिला है.
बीमा कंपनी ने क्या कहा
बीमा कंपनी के वकील ने कहा कि कुछ याचिकाकर्ताओं के दावों को मंजूरी दी गई थी, लेकिन कुछ कारणवश इसे किसानों (Farmers) के खाते में क्रेडिट नहीं किया जा सका. अन्य किसानों (Farmers) के मामलों में फसल बीमा और फसल के नुकसान के दावे के साथ-साथ गांव के नाम में भी गड़बड़ियां थीं. कुछ किसानों (Farmers) के मामलों में कंपनी ने तर्क दिया कि कुछ याचिकाकर्ताओं के नाम बीमा कंपनी के साथ रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं थे.
कोर्ट ने क्या कहा
इस दौरान कोर्ट ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि जिन किसानों (Farmers) ने जुलाई 2017 में बाढ़ के कारण अपनी फसलें गंवा दी और जिन्होंने पीएमएफबीवाई के तहत बीमा ले रखा था, उन्हें 2020 तक मुआवजा नहीं दिया गया.
इसमें आगे कहा गया है कि अगर उन्हें योजना के तहत बीमा का लाभ नहीं दिया गया है या वे किसी भी कारण से मुआवजे के हकदार नहीं हैं तो उन्हें सूचित किया जाना चाहिए. यह देखा गया कि एक तरफ राज्य ने बीमा कंपनी को भारी प्रीमियम का भुगतान किया और उनके साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए और दूसरी ओर फसल नुकसान का दावा करने के बावजूद किसानों (Farmers) को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया.
अदालत ने राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि योजना के तहत शामिल याचिकाकर्ताओं और अन्य लोगों को उनके उचित मुआवजे का भुगतान किया गया है या नहीं और उसका निपटारा किया जाए. इसके लिए राज्य को तीन महीने का समय दिया गया है और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि अगर किसान (Farmers) बीमा दावे के हकदार हैं तो उन्हें नुकसान ना हो.