कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन चल रहा है. साथ ही साथ देश के कई दूसरे हिस्सों में भी विरोध की आंच देखने को मिल रही है. इसी बीच किसान आंदोलन (Farmers Protest) का असर बिहार (Bihar) में भी दिखने लगा है. बिहार के अलग-अलग जिलों से आए किसानों ने नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए मंगलवार को राजभवन की ओर मार्च (Farmers Protest) किया.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और अन्य लेफ्ट संगठनों के सदस्यों ने राजभवन मार्च आयोजित किया.
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बता दें कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे (Farmers Protest) हुए हैं. इनकी संख्या हजारों में हैं. किसानों और किसान संगठनों को डर सता रहा है कि नए कानून की वजह से कृषि क्षेत्र में पूंजीपतियों का प्रभाव बढ़ जाएगा और उनकी (किसान) आमदनी कम हो जाएगी.
30 दिसंबर को होगी बातचीत
कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) के बीच सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. फिलहाल अगले दौर की बातचीत के लिए सरकार ने 40 किसान संगठनों के नेताओं को 30 दिसंबर को बुलाया गया है.
किसान आंदोलन में पहुंचे पप्पू यादव
पूर्व सांसद पप्पू यादव सोमवार दोपहर को गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की के वह तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लें. किसानों (Farmers Protest) को संबोधित करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि वह भी किसान के बेटे और किसानों के साथ मरने-मिटने आएं हैं. मंच से उन्होंने एलान किया कि पांच जनवरी से पूरे बिहार में किसानों के समर्थन में रैलियां निकाली जाएंगी. बिहार में लगातार कानूनों का विरोध चल रहा है. किसानों ने वहां लगातार सात दिनों तक भूख हड़ताल की. गर्वनर हाउस पर प्रदर्शन के दौरान किसानों पर लाठियां भांजने के अलावा पानी की बौछार भी छोड़ी गई.