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बुलेट ट्रेन की रफ्तार को किसानों का झटका, कठघरे में रुपाणी सरकार?

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अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर जहां एक तरफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इसे सफेद हाथी करार दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ गुजरात सरकार किसानों से जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण कर रही है. गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले साल भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया व अपर्याप्त मुआवजे के खिलाफ किसानों की ओर से दायर 100 से अधिक याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इसे फैसले से किसान दुखी होकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. इसी बीच पुलिस प्रशासन के डर से किसानों के साथ पिछले कुछ दिनों से गुजरात के सूरत, भरुच, नवसारी, वलसाड के किसानों के साथ मारपीट कर उनकी जमीन की जबरदस्ती पैमाइश की जा रही है.

अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 508.90 किमी है. जिसमें 487 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर और 22 किमी सुरंग बननी है. प्रस्तावित 12 स्टेशन में से आठ का निर्माण गुजरात में होना है. गुजरात में इसकी लंबाई 349.03 किमी है जबकि महाराष्ट्र में 154.76 किमी है. वहीं 4.3 किमी यह दादरा एवं नगर हवेली से गुजरेगी. इस पूरी परियोजना के लिए गुजरात में 612.17 हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 246.42 हेक्टेयर और दादरा नगर हवेली में 7.52 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को 15 अगस्त 2022 तक शुरू कर देना चाहती है.

लेकिन गुजरात के किसान जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हैं भरुच, सूरत, नवसारी, वलसाड के 90 फीसद किसानों ने ना तो जमीन दिया और ना ही सर्वे करने दिया था. सर्वे के बाद जमीन की निशानी के लिए लाल पत्थर लगा दिया जाता है इसका किसान विरोध कर रहे हैं. किसानों ने इस लड़ाई को लेकर एक नया स्लोगन दिया है “लहू का पत्थर तोड़ो,तोड़ो किसानों का खून निकाल कर” इस सिलसिले में जानकारी देते हुए किसानों के वकील आनंद याग्निक ने कहा कि ” गुजरात सरकार तमाम संवैधानिक  प्रक्रिया का गला घोटकर किसानों  के जमीन का अधिग्रहण कर रही है. इतना ही नहीं सरकार जमीन के मुआवजा के नाम पर इतना पैसा दे रही है जिससे  किसान ना तो जमीन खरीद सकते हैं ना ही घर” उन्होंने कहा कि “2011 में जमीन का दाम सरकल रेट के मुताबिक तंय किया गया था( बढ़ते विकास को लेकर तंय ) लेकिन अर्बन इलाका के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में 50 फीसद से भी कम पैसा दे रही है“.उन्होंने डायमंड सिटी सूरत की मिसाल देते हुए समझाया कि “सूरत में एक एकड़ जमीन का सरकार 30 लाख रुपया देती है जबकि इसकी मार्केट प्राइज 8 करोड़ से भी ज्यादा है“.

गुजरात हाईकोर्ट में किसानों की पैरवी करने वाले वकील आनंद याग्निक ने कहा कि “भरुच, सूरत, नवसारी, वलसाड में जमीन के दाम 80 से लेकर 800 फीसद बढ़ गये हैं. बावजूद इसके गुजरात सरकार 2011 के मुताबिक ही मुआवजा दे रही है“. जमीन अधिग्रहण का विरोध करने वाले किसानों की मांग यही है कि “बाजार भाव के हिसाब से मुआवजा देने के साथ किसानों के रोजगार का भी ध्यान रखा जाए. जिन गांवों की जमीन रूट में आ रही है वहां जंत्री भाव कम है, इसलिए मुआवजे की रकम बहुत कम है. ऐसे में अगर किसान अपनी जमीन दे देगा तो उसके पास बचेगा क्या ?

भरुच, सूरत, नवसारी, वलसाड के 90 फीसद किसान बुलेट ट्रेन का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में प्रशासन ने 6 फरवरी को जमीन की पैमाइश करने का निर्देश देते हुए सभी किसानों उपस्थित रहने का आदेश दिया था. लेकिन इन जिलों में पिछले तीन दिनों से किसानों के साथ जबरदस्ती की जा रही है पुलिस फोर्स के साथ किसानों को डराकर उनके जमीन की पैमाइश की जा रही है. जिससे नाराज किसान जल्द ही इस मामले को लेकर एक बार फिर से गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं.