कोरोना लॉकडाउन ने लोगों को घरों में कैद होने पर मजबूर किया लेकिन सबसे ज्यादा मार दिहाड़ी मजदूरी करने वाले और सब्जी उगाने वाले किसानों पर पड़ी है. बाजार में सब्जियां जा नहीं पा रही है और बिचौलिये कम दाम दे रहे हैं. यहां तक की सब्जियां खेतों में सड़ रही हैं. यूपी-बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के अलावा एनसीआर सब जगह यही हाल है. बेहाल किसान सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं. रांची में तो 10 गांव के दर्जनों किसानों ने सरकार को पत्र लिखकर आत्महत्या करने की चेतावनी तक दे डाली है.
झारखंड : गांव तक नहीं आ रहे व्यापारी, माल हो रहा बर्बाद
राज्य में बाजार नहीं मिलने के कारण सब्जी उत्पादक किसान परेशान हैं. 10 गांव के किसानों ने सहकारिता पदाधिकारी को पत्र लिखकर आत्महत्या की चेतावनी दी है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि व्यापारियों को गांव तक नहीं आने देने से उनका माल बाजार तक नहीं पहुंच पा रहा है. पहले किसान अपने उत्पाद उड़ीसा, बंगाल और छत्तीसगढ़ भेजते थे. प्रतिदिन करीब 70 से 80 टन सब्जियां इन राज्यों में भेजी जाती थीं. लेकिन अभी किसानों को सब्जी लेकर दूसरे राज्यों में जाने की अनुमति नहीं है. साथ ही जो स्थानीय बाजार हैं वे भी बंद कर दिए गए हैं.
बिहार में भी कुछ ऐसा ही हाल
बिहार में सब्जी उत्पादकों की कमर टूट गई है. खेतों में फसल तैयार है लेकिन सब्जियां बाहर नहीं जाने से खेतों में सूख जा रही हैं. स्थानीय स्तर पर खपत भी कम हो रही है. बिहार के किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि सब्जी उत्पादकों के लिए कुछ उपाय करना चाहिए ताकि हम बर्बादी से बचें. भोजपुर के स्थानीय मंडियों में सब्जियां आ रही हैं पर बाहर में सप्लाई चेन पर ब्रेक लग जाने से उचित कीमत नहीं मिल पा रही है. यहां की सब्जियां रेफ्रिजरेटर वैन से राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी भेजी जाती हैं.
दिल्ली की मंडियों में नहीं जा रही मेरठ की सब्जी
मेरठ जिले में 22 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर सब्जी का उत्पादन होता है. लॉकडाउन होने के बाद जिले की मंडियों में किसान सब्जियां लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन खुदरा ग्राहकों पर रोक से सब्जी कम बिक रही. वहीं, दिल्ली के आजादपुर मंडी में सब्जियों का जाना बिल्कुल बंद है. इससे सब्जी उत्पादकों को नुकसान हो रहा है. सहारनपुर के डेढ़ सौ से ज्यादा गांव में लौकी, तोरी, कद्दू, टमाटर, खीरा, भिंडी, गोभी आदि की खेती होती है. देहरादून-हरिद्वार नजदीक होने के चलते ज्यादातर सब्जी इन्हीं शहरों में जाती है. बुलंदशहर, बागपत, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में किसानों का यही हाल है.
गुजरात किसानों की भी हालत खराब
गुजरात में किसान बड़ी मात्रा में सब्जी का उत्पादन करते हैं. एक वक्त में गुजरात के किसानों की सब्जियां पाकिस्तान तक जाती थी. लेकिन तालाबंदी के इस दौर में पाकिस्तान क्या स्थानिक बाजार तक भी किसानों की सब्जियां नहीं पहुंच पाती जिसकी वजह से गुजरात के किसान भी परेशान हैं. गुजरात में तालाबंदी के दौरान वैसे तो किसानों को कई तरीके की छूट दी गई है लेकिन जब वह अपनी सब्जियों का उचित दाम नहीं हासिल कर सकते हैं तब ऐसे छूट का क्या फायदा.
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