राजकोट: तालाबंदी के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से दिल दहलाने वाली तस्वीर आ रही हैं, कहीं 108 एंबूलेंस में बच्चे के जन्म का मामला तो कहीं हजारों किलोमीटर का लंबा सफर तय करने के बाद मौत. इस बीच पुलिस प्रशासन, एनजीओ से जुड़े लोग लोगों की दिल खोलकर मदद कर रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात ये की तालाबंदी के दौरान एक आम आदमी दूसरे आम आदमी की मदद नहीं कर रहा. इसका ताजा मामला देखने को मिला गुजरात के राजकोट में जहां लॉकडाउन में लाचार पति को अस्पताल ले जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला, तो पत्नी ने उसे ठेले पर लादकर 64 कि.मी. की यात्रा करने को मजबूर हो गई.
मोरबी के पुराने पावर हाउस के करीब पेपर मिल के पास रहने वाले सुरेश कुमार के पैर में 3 महीने पर कांच घुस गया था। उस समय तो सर्जरी हो गई. फिर पांव पर प्लास्टर चढ़ाया गया. महीने में दो बार उसे राजकोट के सिविल अस्पताल ले जाना होता है. लॉकडाउन के चलते सुरेश भाई की हालत बहुत ही खराब हो गई. राजकोट ले जाने के लिए रिक्शे वाले दो-तीन हजार रुपए मांगते. जहां एक समय के खाने के लाले हों, वहां इतने रुपए कैसे दिए जा सकते हैं?
रात भर खींचती रही ठेला
आखिरकार पत्नी मुन्नी ने पेपर मिल के पास रहने वाले एक सब्जी वाले से उसका ठेला मांगा. मुन्नी ने पति सुरेश कुमार को उस पर बिठाया. सुबह 8 बजे उसने चलना शुरू किया. दूसरे दिन दोपहर 12.30 बजे वह राजकोट सिविल अस्पताल पहुंची. इस तरह से उसने पूरे 28 घंटे तक ठेले को धक्का लगाया और अपने गंतव्य तक पहुंची.
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