जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को रिहा किया जा रहा है. उन पर लगाए गए पब्लिक सेफ्टी एक्ट भी हटा दिया गया है. वह करीब छह महीने से हिरासत में थे. फारुक अब्दुल्ला को उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अन्य नेताओं के साथ 5 अगस्त को हिरासत में ले लिया गया था. बता दें, कुछ दिन पहले आठ विपक्षी पार्टियों ने भाजपा नेतृत्व वाली सरकार से मांग की थी कि कश्मीर में हिरासत में रखे गए सभी नेताओं को जल्द से जल्द रिहा किया जाए. हिरासत में रखे गए नेताओं में तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत लगाये गये आरोप शुक्रवार को हटा दिए गए. राज्य के गृह सचिव शालीन काबरा ने एक आदेश में कहा कि 17 सितम्बर को अब्दुल्ला पर लगाया गया पीएसए को हटा दिया गया है. अब्दुल्ला पर लगाये गये पीएसए की अवधि 13 दिसम्बर को बढ़ा दी गई थी. आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होता है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बयान जारी कर कहा कि संरक्षक फारूक अब्दुल्ला को हिरासत से रिहा किया जाना ”जम्मू कश्मीर में वास्तविक राजनीतिक प्रक्रिया को बहाल करने की सही दिशा में लिया गया कदम है”
Rohit Kansal, Principal Secretary Planning, Jammu & Kashmir: Government issues orders revoking detention of Dr Farooq Abdullah. pic.twitter.com/hgcCOQNzcg
— ANI (@ANI) March 13, 2020
विपक्षी पार्टियों ने की ओर से बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को भेजे गए संयुक्त प्रस्ताव में कहा गया था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में लोकतांत्रिक असहमति को आक्रामक प्रशासनिक कार्रवाई से दबाया जा रहा है. इसने संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के बुनियादी सिद्धांतों को जोखिम में डाल दिया है.” इसमें कहा गया था कि लोकतांत्रिक मानदंड़ों, नागरिकों के मौलिक अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता पर हमले बढ़ रहे हैं.
जिन नेताओं ने मीडिया में संयुक्त बयान जारी किया था, उनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी.राजा, आरजेडी से राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी शामिल थे.