केरल सरकार ने 26 साल पुराने ISRO जासूसी केस में गलत तरीके से फंसाए गए पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को मंगलवार 1.30 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा सौंपा उन्हें 1994 में जासूसी के झूठे मामले में फंसाया गया था.
पिछले साल दिसंबर में केरल मंत्रिमंडल ने पूर्व इसरो वैज्ञानिक को भारी भरकम 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मंजूरी पर मुहर लगाई थी.
गुप्त जानकारी को साझा करने का लगा था आरोप
नंबी नारायणन पर 1994 में दो कथित मालदीव के महिला खुफिया अधिकारियों के साथ रक्षा विभाग से जुड़ी कुछ गुप्त जानकारी लीक करने का आरोप लगा था.
जिसके बाद नारायण को राज्य पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
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इंसाफ के लिए खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
गतल तरीके से जासुसी के आरोप में फंसने के बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि उनकी गिरफ्तारी ‘अनावश्यक’ थी और उन्हें फंसाया गया था.
इतना ही नहीं कोर्ट ने उन्हें 50 लाख रुपये की अंतरिम राहत देने का भी आदेश दिया था.
इस मौके पर कोर्ट ने कहा था कि नांबी नारायणन इससे ज्यादा के हकदार हैं और वे उचित मुआवजे के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते है.
इसके बाद नंबी ने तिरुवनंतपुरम के सेशन कोर्ट में एक केस दायर किया था.
मेरी लड़ाई मुआवजे के लिए नहीं इंसाफ के लिए थी
मुआवजा का चेक मिलने के बाद पूर्व इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा, ‘मैं खुश हूं. यह सिर्फ मेरे द्वारा लड़ी गई पैसे के लिए लड़ाई नहीं है. मेरी लड़ाई अन्याय के खिलाफ थी.
इससे पहले नारायणन के सहयोगी और दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने आरोप मुक्त होने के बाद उन्हें मुकदमे से बचने की सलाह दी थी.
लेकिन वह गुनाहगारों को सजा दिलाने और मुआवजा पाने के अपने फैसले पर अडिग थे जिसकी वजह से आज केरल सरकार को पूर्व वैज्ञानिक को भारी भरकम मुआवजा देना पड़ा.
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