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दो महान शख्सियतों की चकाचौंध मिलन में गांधी पड़े फीके, राष्ट्रपिता से मुलाकात में ट्रंप को याद आए मोदी

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हितेश चावड़ा, अहमदाबाद: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो दिन की अपने भारत यात्रा पर पहुंच चुके हैं. आज सुबह 11.38 बजे अमेरिकी राष्ट्रपति अपने चिर परिचित अंदाज में एयरफोर्स 1 से बाहर निकले. पीएम मोदी ने अपने दोस्त ट्रंप का गले लग कर स्वागत किया. जिसके बाद एयरपोर्ट से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का काफिला साबरमती आश्रम पहुंचा. साबरमती आश्रम में भी पीएम मोदी और साबरमती आश्रम के प्रमुख ने राष्ट्रपति ट्रंप और मेलेनिया ट्रंप का स्वागत किया.

सोशल मीडिया पर विवाद तब शुरु हो गया जब ट्रंप गांधी आश्रम की मुलाकात के दौरान विजिटर बुक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार को भूलकर मोदी की तारीफ करते हुए नजर आए. अक्सर रिवाज ये होता है कि विजिटर बुक में महात्मा गांधी की सत्य, अहिंसा, सत्याग्राह की बात लिखकर इस महान आत्मा को याद किया जाता है लेकिन ट्रंप ने महात्मा गांधी के लिए एक शब्द भी नहीं लिखा, ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या ट्रंप को गांधी के बारे में कोई जानकारी है ही नहीं या फिर वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समकक्ष मोदी को मान रहे हैं? हालंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी प्रोटोकॉल को दर किनार कर अपने जूते उतार कर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर खादी से बने धागे की माला चढ़ाया.

अहमदाबाद पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 22 किलोमीटर लंबे रोड शो का आयोजन किया. रोड शो का पहला पड़ाव अहमदाबाद में मौजूद साबरमती आश्रम था. यहां आने पर परंपरा के मुताबिक आगंतुक पुस्तिका (विजिटर बुक) में अपना संदेश लिखा जाता है इस संदेश में ट्रंप ने लिखा, “मेरे महान दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए, इस शानदार यात्रा के लिए धन्यवाद“.

महात्मा गांधी से ही दुनिया में इस भारत देश की पहचान है और उनके विचारों से 1917 से 1930 के दौरान इसी ऐतिहासिक स्मारक से दुनिया को दिशा मिली. इसीलिए जब भी कोई राष्ट्रअध्यक्ष गुजरात का दौरा करता है तो इस जगह पर जरुर आता है और अपने विचार यहां के विजिटर बुक में लिखता है. लेकिन ट्रंप के इस दौरे से पहले ही गांधी आश्रम की मुलाकात को लेकर शंसय बना हुआ था. अंतत आखरी क्षण में मुलाकात लेने का फैसला हुआ और ट्रंप ने आश्रम की मुलाकात भी ली लेकिन गांधी परम्पराओं में ज्यादा दिलचस्पी दिखाने की जगह ह्रदय कुंज की मुलाकात कर ट्रंप ने व्यवहारिक खाना पूर्ती पूरी कर ली.

इस मामले को लेकर राजनीतिक विश्लेषक डॉ हरि देसाई ने कहा कि “ट्रंप को महात्मा गांधी के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में ही भारत का राष्ट्रपिता नज़र आता है. साबरमती आश्रम में गांधीजी के बजाय मोदी जी के प्रति धन्यवाद प्रकट करना ट्रंप का अज्ञान नहीं, सोची समझी चाल मानना चाहिए. पहले भी ट्रंप के भाषण में मोदी जी को भारत का ‘फादर ऑफ नेशन’ कहा जाता रहा है. दुःख इस बात का है कि भारत सरकार की ओर से इसका प्रतिवाद हमारी जानकारी में अब तक नहीं आया है

इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि, “जनसंघ के संस्थापक महासचिव एवं आरएसएस के प्रचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने 1965 में कहा था कि, गांधीजी के प्रति आदर है, किन्तु महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता नहीं कहा जा सकता है. महात्मा और सरदार पटेल के साथ मतभेद के चलते हुए भी दुबारा कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष पद से ही नहीं ; वरन् कांग्रेस पक्ष से भी इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद अलग राजनीतिक दल स्थापित किया. उन्हीं नेताजी ने 1944 में रंगून रेडियो पर से महात्मा गांधी को सर्वप्रथम ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित करते हुए आपके आशीर्वाद मांगे थे. आश्चर्य इस बात का है कि, नेताजी को अपना आराध्य पुरुष मानने वाले राजनीतिक दल के नेता आज भी गांधीजी को राष्ट्रपिता मानने में झिझक महसूस कर रहे हैं. ऐसे में ट्रंप को गांधीजी के बजाय मोदीजी का आदर करने की इच्छा होना स्वाभाविक है“.

मामले को लेकर गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि, “आज विश्व को महात्मा गांधी के सत्य अहिंसा के सोच की जरुरत है, आज दुनिया के किसी भी हिस्से में कोई भी परेशानी सामने आती है तो गांधी के विचार के मुताबिक ही उसका रास्ता निकाला जा सकता है. उन्होंने कहा कि ट्रंप को गांधी आश्रम से थोड़ा सत्य अहिंसा की सोच लेकर अमेरिका जाना चाहिए“.

साथ ही साथ दोषी ने आगे कहा, “आज और पहले कभी भी अमेरिका महात्मा गांधी विचार को पंसद नहीं करता, क्योंकि अमेरिका का काम काज करने का तरीका हमेशा से हिंसा का रहा है जबकि गांधी अहिंसा को मानने वाले थे. ये महात्मा गांधी का अपमान नहीं बल्कि पूरे भारत का अपमान है, ट्रंप को मोदी पसंद हैं लेकिन भारतीय पसंद नहीं है, ये अपने आपमें उनकी मानसिकता को प्रदर्शित करती है. जिस दिन ट्रंप ने मोदी को भारत का फादर ऑफ नेशन कहा था उस दिन ही उन्हें रोक देते तो ऐसा नहीं होता, खुद भी मोदी और RSS चाहती है कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता ना कहा जाए और ट्रंप ने उन्हीं के लफ्ज बोलकर देशवासियों का अपमान किया है“.

सामाजिक कार्यकर्ता उवैश मलिका ने कहा, “ट्रंप एक बिजनेसमैन हैं. गांधी ने पूरी दुनिया को सत्य अहिंसा का पैगाम दिया था इस पर उन्हें यकीन नहीं है, या तो उन्होंने सदी के महान शख्सियत के विचार को पढ़ा नहीं है और ना ही समझा है. साथ ही उन्होंने कहा कि बिल्कुल आखरी वक्त में गांधी आश्रम की मुलाकात करने का फैसला भी कई सवाल खड़े करते हैं“.

साबरमती आश्रम एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है, जिसने देश की आजादी के पीछे की लड़ाई को करीब से देखा है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा निर्मित साबरमती आश्रम गांधी अनुयायियों के लिए किसी तीर्थ स्थान से कम नहीं है. गांधी जी एवं उनके साथी स्वतंत्रता संग्रामी देश की आजादी के लिए, ब्रिटिश सरकार के खिलाफ यही बैठकर योजना बनाते थे. 1917 से 1930 तक इस ऐतिहासिक स्मारक में गांधी जी ने अपना जीवन बिताया था.

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