रेल मंत्रालय ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ट्रेनों को लेकर बड़ा ऐलान किया है. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा कि अगले 10 दिन में 2600 ट्रेन चलाने का लक्ष्य है. जरूरत पड़ने पर हर स्टेशनों से ट्रेन चलाएंगे. एक हजार टिकट बुकिंग काउंटर्स खुल चुके हैं और धीरे-धीरे सभी टिकट खिड़कियां खुल जाएंगी. साथ ही रेलवे एजेंट, पोस्ट ऑफिस, कॉमन सर्विस सेंटरों आदि को भी टिकट उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई है.
रेलवे ने एक मई से अब तक 2,570 श्रमिक विशेष ट्रेनों से 32 लाख प्रवासी कामगारों को उनके घरों तक पहुंचाया है. आधिकारिक आंकडों में यह जानकारी दी गई. श्रमिक विशेष ट्रेनें मुख्यत: राज्यों के अनुरोध पर चलाई जा रही हैं जो लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों तक भेजना चाहते हैं.
रेलवे इन ट्रेनों को चलाने के कुल व्यय का 85 फीसद व्यय खुद वहन कर रही है शेष राशि राज्य दे रहे हैं. कुल 2,570 ट्रेनों में से 505 रेलगाड़ियां अपने गंतव्य तक अभी नहीं पहुंची हैं शेष 2,065 रेलगाडियों ने अपनी यात्राएं पूरी कर ली हैं. रेलवे के आंकडों के अनुसार उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 1246 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां पहुंची हैं, इसके बाद बिहार में 804 और झारंखड में 124 रेलगाड़ियां पहुंची हैं. वहीं, गुजरात ने 759, महाराष्ट्र ने 483 और पंजाब ने 291 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से प्रवासी कामगारों को रवाना किया है.
गौरतलब है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के चलते हजारों की संख्या में प्रवासी कामगार पैदल, साइकिलों से अथवा अन्य साधनों से अपने घरों के लिए रवाना होने लगे थे. विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में अनेक प्रवासी कामगारों की मौत भी हुई. इसके बाद रेलवे ने एक मई से कामगारों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों का परिचालन शुरू किया.
रेलवे ने कहा कि अभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का 85% किराया केंद्र सरकार, जबकि 15% किराया संबंधित राज्य सरकारें देती हैं. शुरू-शुरू में कुछ एनजीओ ने भी किराए में आंशिक योगदान दिया था. रेलवे के आसपास रहने वालों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है. अबतक 47 मील बांट चुके हैं. रेलवे अपने वर्कशॉप्स में पीपीई, मास्क और सैनिटाइजर्स बना रहे हैं. अनिवार्य वस्तुओं की ढुलाई के लिए रेलवे ने हरसंभव प्रयास किए हैं.
उन्होंने आगे कहा कि रेलवे के 17 अस्पतालों को कोविड हॉस्पिटल घोषित कर दिए. इनमें 5 हजार बेड्स हैं. 33 अस्पतालों में कुछ ब्लॉक्स कोविड मरीजों के इलाज के लिए अलग किए गए. कोविड केयर सेंटर्स के लिए रेलवे की बोगियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की बोगियों को भी इस उद्देश्य से उपयोग में लाया जाएगा.
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