सूरत: मैं अधिकतम तीन दिनों में किसी भी सरकारी बंगले को खाली कर देता हूं. जी हां ये शब्द सूरत के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजेंद्र ब्रह्मभट्ट का है. इस बात को उन्होंने एक बार फिर से सही साबित कर दिया.
उन्होंने सूरत के पुलिस आयुक्त के रूप में कार्यभार छोड़ने के कुछ घंटों के भीतर ही अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया.
कुछ मिनटों में कर दिया सरकारी आवास खाली
सरकारी अधिकारियों को जब भी सरकारी आवास आवंटित किया जाता है, तो वह वहां रहने की जल्दबाजी में रहते हैं.
लेकिन जब सरकारी आवास को खाली करने की बारी आती है तो कई तरीके का बहाना बनाया जाता है. गुजरात में ऐसी कई घटनाएं बनी है जो सरकारी विभाग और मीडिया में चर्चा का विषय बनी हैं.
हालांकि कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जो सरकारी आवास या बंगले का मोह नहीं रखते. ऐसे ही एक अधिकारी हैं सूरत में पूर्व पुलिस आयुक्त राजेंद्र ब्रह्मभट्ट.
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1 अगस्त देर रात मिला था तबादले का ऑर्डर
1 अगस्त की देर रात, राज्य सरकार ने पुलिस विभाग में बड़े पैमाने पर तबादला किया गया था. जिसमें 1995 बैच के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी और सूरत पुलिस आयुक्त राजेंद्र ब्रह्मभट्ट का तबादला कर उन्हें वडोदरा शहर पुलिस आयुक्त बना दिया गया था.
तबादला का आदेश के दो दिन बाद यानी रक्षाबंधन के दिन अहमदाबाद सिटी पुलिस क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी अजय कुमार तोमर कार्यभार संभालने के लिए सूरत पहुंचे.
सुबह 10:30 बजे के करीब तोमर ने सूरत सीपी का पदभार संभाला. जिसके राजेंद्र ब्रह्मभट्ट अपने सरकारी आवास पर लगभग 11:30 बजे पहुंचे. दोपहर 12 बजे से पहले उन्होंने अपना सरकारी आवास छोड़कर घर के लिए रवाना हो गए.
इस बारे में गुजरात एक्सक्लूसिव से बात करते हुए, राजेंद्र ब्रह्मभट्ट ने कहा, “जब से मुझे सरकार द्वारा आवास दिया गया है, मैंने कभी भी गलत तरीके से दावा नहीं किया है. मैं तबादले के तीन दिनों के भीतर सरकारी आवास छोड़ देता हूं” सूरत में मैंने कुछ ही मिनटों में घर खाली कर दिया है.
मुझे मेरे तबादले की जानकारी 1 तारीख को देर रात मिली. अगले दिन मुख्यमंत्री विजय रूपानी सूरत के दौरे पर थे इसलिए उसी दिन शाम को घर आकर सामान पैक कर लिया था.
3 तारीख को सुबह अजय कुमार तोमर ने सूरत शहर के पुलिस आयुक्त का पदभार संभाला. उन्हे चार्ज देने के बाद मैं घऱ आया जहाँ मेरी निजी गाड़ी पहले से ही तैयार थी. सरकारी आवास में काम करने वाले कर्मचारियों से मिलने के बाद मैं दोपहर 12 बजे से पहले ही सूरत को छोड़ दिया था.”
लंबे संघर्ष के बाद मिला था सरकारी मकान
सरकारी अधिकारी सरकारी मकान को खाली कर दे ये कोई बड़ी खबर नहीं है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि जिस सरकारी आवास को राजेंद्र ब्रह्मभट्ट ने मिनटों में खाली कर दिया उसे पाने के लिए उन्होंने लंबा इंतजार किया था.
सूरत पुलिस कमिश्नर सतीश शर्मा अगस्त 2019 में सेवानिवृत्त हुए थे. जिसके एक महीने बाद आरबी ब्रह्मभट्ट को सूरत का पुलिस कमिश्नर बनाया गया था.
लेकिन उन्हें सरकारी आवास में रहने के लिए चार महीने इंतजार करना पड़ा था. इस दौरान ब्रह्मभट्ट ओएनजीसी के गेस्ट हाउस में रहते थे.
बंगले के सामने बैठकर कराया था खाली
सूरत के सेवानिवृत्त पुलिस कमिश्नर के पद से सतीश शर्मा पिछले अगस्त में सेवानिवृत्त हो गए थे. लेकिन उन्हें पुलिस आयुक्त के रूप में मिलने वाला बंगला खाली नहीं किया था.
उनके सेवानिवृत्त होने के एक महीने बाद, 30 सितंबर को नए पुलिस आयुक्त के रूप में 1995 बैंच के अधिकारी आरबी ब्रह्मभट्ट को नियुक्त किया गया.
नव नियुक्त पुलिस कमिश्नर आरबी ब्रह्मभट्ट 10 साल सीनियर अधिकारी होने के नाते तीन महीने तक इंतजार किया. इस दौरान वह ओएनजीसी के गेस्ट हाउस में रहने लगे.
लेकिन तीन महीने के लम्बे इंतजार के बाद बंगला खाली होते ना देख खुद बंगला खाली करवाने पहुंच गए. जिसके बाद शर्मा को सरकारी आवास खाली करना पड़ा था.
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