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चुनावी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए आधार और चुनाव पहचान पत्र को जोड़ना चाहती है सरकार

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खबर है कि चुनाव प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार आधार कार्ड और चुनाव पहचान पत्र को जोड़ना चाहती है. नरेंद्र मोदी सरकार ने चुनाव आयोग को कहा कि वो आधार कॉर्ड और चुनाव पहचान पत्र के कानूनी प्रावधानों में बदलाव करने जा रही है जिससे देश के दूरदराज के इलाकों से भी मतदान करने की प्रणाली सुगम हो सके.

मीडिया को जारी किए गए एक बयान के मुताबिक, मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा समेत आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कानून सचिव नारायण राजू और कानून मंत्रालय के अन्य अधिकारियों के साथ मंगलवार को चुनाव सुधार पर चर्चा की. खबर है कि सरकार ने चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखने वाली संस्था को आश्वस्त किया है कि वो आने वाले कुछ हफ्तों में कैबिनेट के सामने प्रस्ताव रखेगी. हालांकि इसके लिए आरपीए कानून 1951 में बदलाव की जरूरत पड़ेगी.

पिछले साल अगस्त में कानून मंत्रालय को लिखी एक चिट्ठी में चुनाव आयोग ने कहा था कि चुनावी व्यवस्था को सुधारने के लिए आधार और चुनाव पहचान पत्र को जोड़ना राष्ट्रीय हित में है जो मतदाताओं का दोहराव होने से बचाएगा. आयोग ने ये मंत्रालय से जरूरी कानूनी संशोधन करने के बारे में पूछा था. चुनाव आयोग ने कहा था कि ‘चुनावी व्यवस्था को साफ बनाने के लिए कमिशन चाहता है कि एक आईडी नंबर हो जो आधार से जुड़ा हुआ हो.’ अधिकारियों ने वेबसाइट दिप्रिंट को बताया कि बाद के महीनों में, मंत्रालय ने आयोग से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि मतदाताओं की गोपनीयता के उल्लंघन की कोई संभावना नहीं है.

अगस्त के लिखे पत्र के अनुसार चुनाव आयोग ने आधार एक्ट के अनुसार कहा था, ‘किसी भी सेवा के प्रावधान के लिए आधार नंबर धारक का अनिवार्य प्रमाणीकरण’ या ‘किसी व्यक्ति की पहचान के सत्यापन के लिए आधार संख्या का उपयोग’ केवल संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा आवश्यक है. आयोग इसलिए आरपीए में संशोधन करने के लिए कह रहा है.