- अशांत धारा कानून पर लगी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर
- कानून का उल्लंघन करने वालों को मिलेगी सख्त सजा
- विधानसभा के पिछले सत्र में संशोधन विधेयक को किया था पारित
गांधीनगर: गुजरात विधानसभा में गुजरात अशांत इलाकों में मौजूद संपत्ति के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाने और उन क्षेत्रों से किरायेदारों को बेदखल करने के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 2019 में गुजरात विधानसभा में एक संशोधन विधेयक पारित किया गया था.
इस कानून को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है. इस कानून को विधानसभा के पिछले सत्र में पारित किया गया था.
राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद प्रदीप सिंह जाडेजा ने कहा कि “इस कानून का उल्लंघन करने पर 3 से 5 साल की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना होगा.”
अशांत धारा कानून पर लगी राष्ट्रपति की मुहर
अशांतधारा कानून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है. संशोधित कानून को गुजरात विधानसभा के पिछले सत्र में पारित किया गया था.
इस कानून के बारे में जानकारी देते हुए गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने कहा, “अब से संपत्ति के अवैध हस्तांतरण पर रोक लग जाएगा. अशांत क्षेत्र का निर्धारण करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी.
अब से अशांतधारा का उल्लंघन करने वाले लोगों को 3 से 5 साल की जेल और एक लाख का जुर्माना लगाया जाएगा.”
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इस कानून से अशांत इलाकों में मौजूद संपत्ति हस्तांतरण पर प्रतिबंध, प्रतिबंध को सख्त बनाने कि लिए सजा और जुर्माना का प्रावधान किया गया है. गौरतलब है कि यह बिल पहले कांग्रेस के समय में पारित किया गया था.
उसके बाद 1991 में एक बार फिर से पास कर दिया गया था. यह कानून लागू नहीं होने की वजह से कुछ लोग इसका फायदा उठा रहे थे.
इस विधेयक को इसलिए पारित किया गया ताकि किसी भी समुदाय के लोगों को दुर्भावनापूर्ण परेशान न किया जा सके. इससे पहले अशांत क्षेत्र में मौजूद संपत्ति का हस्तांतरण 100 रुपये के स्टाम्प पर हो जाता था.
लेकिन अब पहले कलेक्टर से अनुमति लेनी पड़ती है.
इस कानून को आखिरकार क्यों लागू किया गया?
यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि गुजरात में सांप्रदायिक दंगों के बाद संपत्तियों की बिक्री और खरीद की शिकायतें बढ़ रही थीं.
अशांत धारा कानून को ऐसी जगहों पर लगाया है जहां दो समुदायों के बीच अक्सर तनाव पैदा होता है. इसे रोकने के लिए गुजरात सरकार ने अशांत धारा कानून लागू किया था.
पहले इसे कुछ इलाकों में लागू किया गया था. लेकिन अब इसका दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है.
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