अहमदाबाद : गुजरात की राजनीति के बदलते समीकरणों और राज्यसभा की चार सीटों के कार्यकाल की समाप्ति के बीच बस चंद दिन शेष बचे हैं. गुजरात में इस साल अप्रैल में रिक्त हो रहीं राज्यसभा की चार सीटों पर उपचुनाव होंगे. इन चार सीटों में से एक पर कांग्रेस का कब्जा है और तीन पर भाजपा का कब्जा है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान स्थिति के अनुसार, भाजपा अपने दो सदस्यों को राज्यसभा भेज सकती है जबकि कांग्रेस भी अपने दो सदस्यों को राज्यसभा भेजने की तैयारी में है.
गुजरात में इस साल अप्रैल में रिक्त हो रहीं राज्यसभा की चार सीटों पर उपचुनाव होंगे. इसके लिए चुनाव आयोग ने तारीख का ऐलान कर दिया है. आयोग की अधिसूचना के मुताबिक, इन सीटों के लिए 26 मार्च को उपचुनाव होंगे।’ इन सीटों पर भाजपा का नुकसान तय माना जा रहा है. इसकी वजह है, राज्य में विगत चुनावों के दौरा कांग्रेस के पास विधानसभा सीटों की बढ़ोतरी होना. विधायकों की संख्या के आधार पर ही कोई उम्मीदवार राज्यसभा भेजा जाता है.
राज्यसभा के आगामी उपचुनाव में कांग्रेस को फायदा होगा. उसकी सीटें बढ़कर 5 होना निश्चित है. वहीं 25 साल पहले 1995 में पूर्ण बहुमत के साथ गुजरात में सत्ता में आई भाजपा की सीटें इस बार घटकर 6 हो जाएंगी जबकि कांग्रेस पहली बार 5 सीटों तक पहुंचेगी. हालांकि इससे पहले गुजरात से राज्यसभा में कांग्रेस के सांसदों की संख्या 3 से ज्यादा कभी नहीं हुई. बहरहाल, गुजरात विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस के मौजूदा संख्या बल के आधार पर दोनों को दो-दो सीटें मिलेंगी.
अप्रैल महीने में भाजपा राज्यसभा सांसद लालसिंह वडोदिया, चुनीभाई गोहिल और शंभुप्रसाद टुंडिया का और कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री का कार्यकाल पूरा हो रहा है. चुनाव के बाद गुजरात से राज्यसभा के कुल 11 सांसदों में भाजपा के 6 और कांग्रेस के 5 सदस्य हो जाएंगे जिसमें साफ तौर पर भाजपा का नुकसान और कांग्रेस का फायदा होगा.