गांधीनगर: सीबीएसई ने स्कूल शुरू होते ही पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली में बदलाव का फैसला किया है. गुजरात बोर्ड ने जहां पाठ्यक्रम में कटौती को लेकर अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है, वहीं शिक्षकों ने मांग की है कि गुजरात बोर्ड को भी पाठ्यक्रम कम करना चाहिए.
शिक्षकों ने कहा कि यदि बोर्ड कोर्स कम नहीं करती है और छात्रों को कम समय में पूरे पाठ्यक्रम का अध्ययन करना पड़ेगा तो इससे उनका परिणाम खराब आएगा. खराब परिणाम की वजह से गुजरात बोर्ड के छात्रों को उच्च अध्ययन में प्रवेश पाने में कठिनाई हो सकती है.
साइंस स्ट्रीम के विषय विशेषज्ञ पुलकित ओझा ने कहा कि सीबीएसई ने साल की शुरुआत में 25 फीसदी पाठ्यक्रमों में कटौती की है, छात्रों की सुविधा के लिए पहली परीक्षा विकल्प आधारित होगी और दूसरी परीक्षा वर्णनात्मक होगी. छात्र इसी तरीके से परीक्षा की तैयारी भी कर रहे हैं. लेकिन गुजरात बोर्ड ने अभी तक कोर्स को लेकर कोई घोषणा नहीं की है. अगर गुजरात बोर्ड परीक्षा को शत-प्रतिशत पाठ्यक्रम और पुराने पेपर स्टाइल के अनुसार आयोजित करता है तो परिणाम में कमी आएगी.
बोर्ड के अभिभावक प्रतिनिधि धीरेन व्यास ने इस सिलसिले में जानकारी देते हुए कहा कि हमने डेढ़ महीने पहले बोर्ड को पाठ्यक्रम में कटौती का प्रस्ताव दिया था. लेकिन बोर्ड ने अभी तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं किया है. यदि गुजरात बोर्ड के छात्रों को कोर्स कट का लाभ मिलता है, तो वह अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.
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