मोहसीन तुंवर: गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल के तेवर कुछ बदले बदले दिख रहे हैं. पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान उप मुख्यमंत्री लगातार अपने शब्दावलीओं से मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं. सबसे पहले माननीय उप मुख्यमंत्री को उस समय दुख हुआ जब उन्हों ने गुजरात सचिवालय में बेठे सनदी अधिकारीओं के नेम प्लेट को देखा जिस पर गुजराती नाम नही दिखा. उप मुख्यमंत्री इतना व्यथित हो गए के अपने दर्द को यह कहते हुए साझा कर डाला, “‘मैं जब रोजाना सचिवालय जाता हूं तब वहां सचिवों की नेमप्लेट देखकर दुख होता है कि सभी आईएएस, आईपीएस सहित अधिकांश वरिष्ठ अधिकारी गुजरात से बाहर के होते हैं.” इसके बाद फिर से नितिन पटेल का नया बयान नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम मे सामने आया है जिसमें उन्होने कहा कि, “जिन्हे आजादी चाहिए उनके लिए देश का दरवाजा खुला है”. पटेल इतने पर ही नही रूके उन्होंने IIM अहमदाबाद के जो बच्चे CAA-NRC के विरोध मे शामिल हुए उनको “जाने किस राष्ट्र से आए होने की” बात कर डाली.
नितिन पटेल 2016 से गुजरात के उप मुख्यमंत्री है. उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले के कड़ी विधानसभा सीट से आते हैं तथा गुजरात भाजपा के प्रमुख पटेल चेहरा हैं. पटेल गुजरात की राजनीति में मुख्य रूप से तब उभर कर आए जब हार्दिक पटेल का आरक्षण के लिए आंदोलन हुआ. उस समय गुजरात भाजपा ने हार्दिक पटेल को पाटीदार के मुद्दे पर काउंटर करने के लिए नितिन पटेल को उतारा. हालांकि हार्दिक पटेल का आंदोलन मध्यम पड़ने के साथ ही नितिन की राजनीति की चमक भी फीकी हो गई और आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री पद के मुख्य दावेदार नितिन पटेल को उप मुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा. हालांकि पटेल की उम्मीद तब भी नही तूटी और वह 2017 मे मौजूदा मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का खुद को रिप्लेसमेन्ट समझ रहे थे लेकिन रूपाणी ने उनको एक बार फिर से झटका देते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी बचा ली.
नितिन पटेल 2017 मे वित्त मंत्रालय लेने के लिए चर्चा में जरूर आए थे लेकिन उसके बाद से फिर से हांशिये पर चले गये थे. पिछले कुछ दिनो से फिर से गुजरात में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के बदलाव की सुगबुगाहट तेज हुई है तब से नितिन पटेल फिर से सक्रिय हो गए हैं. सबसे पहले उन्होंने गुजराती समाज मे अपनी महात्ता को पुन: स्थापित करने के लिए गुजरात अफसरशाही में गैर-गुजरातीओं की मौजूदगी को मुद्दा बनाया लेकिन CAA-NRC के विरोध में दो धड़ों मे बटे देश ने फिर से एक और टुकड़ा(निवासी-अनिवासी) होने से इनकार कर दिया और नितिन पटेल का बयानबाजी व्यर्थ गया. परंतु जमीनी राजनीति की अच्छी समझ रखने वाले नितिन पटेल ने मौके को परखते हुए गुजराती- गैरगुजराती का राग छोड़कर, देशी-विदेशी एवं देशभक्त-देशद्रोही का चर्चित राग पकड़ लिया.
नितिन पटेल मौजूदा समय में गुजरात के राजनीतिक समीकरण को हर प्रकार से अपने अनुकूल बनाने में लगे हुए दिख रहे हैं जिससे कि, गुजरात में यदी वर्तमान मुख्यमंत्री पद में किसी भी तरह का बदलाव होता हैं तो ऐसे मौके पर उनका प्रसांगिक होना लाजिमी हो. इन्ही समीकरणों को ध्यान में रखते हुए एक न्यूज चैनल के पत्रकार पर हमला करने वाले वाघोड़िया- वडोदरा के कुख्यात भाजपा विधायक मधु श्रीवास्तव की तारीफ में पुल बांधते हुए पटेल ने उनको “राम-हनुमान” तक बता डाला.
उल्लेखनिय है, वाघोड़िया- वडोदरा के भाजपा विधायक मधु श्रीवास्तव गुजरात सरकार के राजस्व विभाग से नाराज चल रहे हैं. श्रीवास्तव अपने विधानसभा क्षेत्र में सरकारी खर्चे पर, सरकारी जमीन पर एक भव्य हनुमान मंदिर बनवाना चाहते हैं जिसकी फाइलों को राजस्व विभाग ने कानूनी अड़चनों का हवाला देकर काफी समय से लटका रखा है. इन्ही मुद्दो पर जब पत्रकार ने उन से तिखे सवाल किए तो उन्होंने पत्रकार से हाथापाई कर ली. श्रीवास्तव पत्रकारो से हाथापाई की घटनाओं को पहले भी अंजाम दे चुके हैं. इस घटना के बाद विधायक पर कार्रवाई की जगह उनको “राम-हनुमान” की केटेगरी में रखते हुए नितिन पटेल ने भाजपा को संस्कार और संस्कृति वाली पार्टी होने का दावा कर दिया.
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