अहमदाबाद: राज्य के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. बॉन्ड सेवा को सीनियर रेजिडेंसी माना जाए, इस मांग को लेकर डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी है. बार-बार शिकायत के बाद भी मांग पूरी नहीं होने पर डॉक्टरों ने ओपीडी, वार्ड ड्यूटी से दूर रहने का फैसला किया है. स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने हड़ताल कर रहे छात्रों को आगाह किया कि रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग जायज नहीं है. जूनियर डॉक्टर अपनी सेवा में लौट आए हैं. धरना जारी रहा तो कार्रवाई की जाएगी. सरकार वैकल्पिक व्यवस्था भी कर लेगी.
रेजिडेंट डॉक्टरों ने मांग की है कि तीन साल के रेजीडेंसी के 36 महीनों में से 17 महीना कोविड महामारी में काम करने के लिए 1 साल के बॉन्ड को सीनियर रेजिडेंसी के तौर पर गिना जाए. जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल गामेती ने बताया कि साल 2019 में एमडी/एमएस रेजीडेंसी में दाखिले के बाद मार्च 2020 से कोविड के मामले आने शुरू हो गए थे. मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल में पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर के 3 बैच हैं यानी R1, R2, R3 के बजाय केवल दो बैच कार्यरत हैं. अगर कोरोना के दौरान को कार्यकाल को अनुभव के रूप में मान लेती है तो इससे सरकार को और अधिक अनुभवी डॉक्टर मिल सकेंगे. पिछले साल हमें आश्वासन दिया गया था कि 2019 और 2020 बैच के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी. लेकिन यह अभी तक नहीं हुआ है.
डॉक्टरों ने मांग पूरी नहीं होने पर सरकार को इमरजेंसी सेवा बंद करने का 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दिया है. कल से गुजरात के 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के एमडी और एमएस के 2019 बैच के 1000 से अधिक डॉक्टरों ने सीनियर रेजिडेंसी विरोध दर्ज कराया है.
रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का असर चिकित्सा सेवा पर पड़ा है. पाटन पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग जायज नहीं है. जूनियर डॉक्टर अपनी सेवा में लौट आए हैं. धरना जारी रहा तो कार्रवाई की जाएगी, यदि जूनियर डॉक्टर अपनी सेवा जारी नहीं रखते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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