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छात्रों के मांग के आगे झुकी गुजरात सरकार, परीक्षा में होने वाली गड़बड़ी की जांच के लिए एसआईटी की रचना

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गांधीनगर: पिछले महीने 17 नवंबर को गुजरात में 3901 खाली पदों के लिए हुई बिन सचिवालय की परीक्षा में पूरे गुजरात से दस लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था. लेकिन इस परीक्षा में खुलेआम नकल होने की तस्वीरे सामने आने के बाद उम्मीदवार गांधीनगर पहुंचकर परीक्षा रद्द करने की मांग किया. लेकिन पिछले दो दिनों से चलने वाले आंदोलन के बाद जहां छात्र जहां परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे थे. वहीं आज गुजरात के गृहमंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा और छात्र नेता युवराज सिंह जाडेजा ने संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस कर मामले की जांच एसआईटी से करवाने का ऐलान किया.

प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रदीप सिंह जाडेजा ने कहा कि कुछ लोग चाहते थे कि पुलिस और नौजवानों के बीच टकराव हो. लेकिन पुलिस ने बड़ी सावधानी के साथ इस पूरे मामले को संभाला. इतना ही नहीं उन्होंने आंदोलन करने वाले छात्रों का भी अभिन्नद देते हुए कहा कि छात्र इतनी बड़ी संख्या में एक जगह जमा होकर शांति के साथ अपनी मांग को लेकर गांधीनगर में डंटे रहे.

एसआईटी की रचना का ऐलान

प्रदीप सिंह जाडेजा ने कहा कि परीक्षा में होने वाली गड़बड़ी की गहराई से जांच के लिए सरकार ने एसआईटी की रचना का ऐलान किया है चार सदस्यों वाली इस टीम को लीड करेंगे कमल दयानी जबकि मनोज शशिधर, मयंक चावडा के साथ ही साथ ज्वलंत त्रिवेदी को इस टीम का सदस्य बनाया गया है. उन्होंने ऐलान करते हुए कहा कि जब तक एसआईटी की रिपोर्ट नहीं आती तब तक बिन सचिवालय परीक्षा के परिणाम का ऐलान नहीं किया जाएगा.

हमें चाहिए था एक प्लेटफॉर्म

संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस करने वाले छात्र नेताओं ने कहा कि परीक्षा में होने वाली गड़बड़ी कैसे हुई थी उसे बताने के लिए एक प्लेटफॉर्म की जरुरत थी कल हमारी पहली मीटींग होने वाली है हम टीम के साथ मिलकर अपनी बात रखने वाले हैं.

छात्र नेताओं को नहीं किया शामिल

छात्र पिछले दो दिनों से गांधीनगर में आंदोलन कर मांग कर रहे थे कि परीक्षा को रद्द किया जाए. लेकिन आज सुबह ही आंदोलन करने वाले छात्र समझौते को तैयार हो गए और बात बनी एसआईटी की रचना पर. लेकिन इस टीम में किसी भी छात्र नेता को इस टीम में शामिल नहीं किया गया. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या एसआईटी की रिपोर्ट से छात्र संतुष्ट होंगे. या फिर एक बार फिर से इंसाफ की मांग को लेकर आंदोलन का रास्ता अपनाना पडे़गा.