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उत्तरायण: गुजरात का एक ऐसा गांव जहां पतंगबाजी के बजाय खेला जाता है क्रिकेट

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पालनपुर: गुजराती लोग त्योहार प्रेमी होते हैं और वे हर त्योहार को पूरे धूमधाम से मनाते हैं. हालाँकि इस वर्ष कोरोना में संक्रमण की वजह से कई त्योहारों पर ग्रहण लग गया है.

सरकारी गाइडलाइन की वजह से उत्तरायण के त्योहार पर भारी असर दिखाई दे रहा है. Gujarat kite flying ban

उत्तरायण के दो दिन गुजराती मित्र और परिवार के साथ घर के छत पर रहकर उत्तरायण मनाते हैं.

हालाँकि उत्तर गुजरात के बनासकांठा जिला एक गांव ऐसा भी है जहां उत्तरायण के दिन पतंगबाजी नहीं की जाती. गांव में पतंगबाजी पर प्रतिबंध है और पूरा गांव क्रिकेट खेलकर उत्तरायण मनाता है.

फतेहपुरा गांव में पतंगबाजी पर प्रतिबंध Gujarat kite flying ban

बनासकांठा जिले के धानेरा में फतेहपुरा गांव में पतंगबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध है. कई सालों से यहां पतंग नहीं उड़ाई गई है. यहां के अधिकांश घरों में छत नहीं है.

जिन घरों पर छत है उसके बिल्कुल ऊपर से बिजली के खंभे लगे हैं. अतीत में पतंगबाजी के दौरान कई बच्चों और युवाओं की मृत्यु हो गई है.

गांव के लोगों ने बनाया 1991 में नियम

इसी वजह से पिछले कई वर्षों से गांव में पतंगबाजी पर प्रतिबंध लगा हुआ है. इस गाँव के लोग पूरे दिन क्रिकेट या अन्य खेल खेलकर अपने समय बिताते हैं.

गुजरात का यह एकमात्र गाँव है जहाँ सालों से पतंगबाजी पर प्रतिबंध है. Gujarat kite flying ban

गाँव के बच्चों की जान बचाने के लिए गाँव के बुजुर्गों ने 1991 में एक खास नियम बनाया. जिसके अनुसार गाँव के लोगों ने तय किया कि गाँव का कोई भी व्यक्ति उत्तरायण के दिन पतंग नहीं उड़ाएगा.

अगर कोई व्यक्ति पतंगबाजी करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे 5 बोरी अनाज का जुर्माना देना होगा. Gujarat kite flying ban

इस नियम को आज तक सख्ती से लागू किया जा रहा है. इस नियम को आज भी गांव के लोग पूरी जिम्मेदारी से पालन कर रहे हैं.

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