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गुजरात में लम्पी वायरस से सबसे ज्यादा 78 फीसदी मवेशियों की मौत कच्छ में दर्ज की गई

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गांधीनगर: गाय-भैंस समेत मवेशियों में लम्पी वायरस से होने वाले स्किन डिजीज ने इस समय प्रदेश में कहर बरपा रहा है. रविवार तक राज्य में 20 जिलों के 1,935 गांवों में इस वायरस से संक्रमित मवेशियों की कुल संख्या बढ़कर 54,161 हो गई है. पिछले सप्ताह राज्य में रोगग्रस्त मवेशियों की कुल संख्या 43,187 थी. अकेले कच्छ जिले में कुल मामलों का 78 प्रतिशत यानी 33,846 मवेशी है. रविवार को आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल 1,431 मौतों में से अकेले कच्छ में मारे गए मवेशियों की संख्या 78 प्रतिशत है.

केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय की दो टीमों ने पिछले सप्ताह लम्पी वायरस को लेकर राज्य का दौरा किया था. पशुपालन निदेशक के अधीन कार्यरत इस केंद्रीय टीम में पशु संगरोध प्रमाणन सेवा अधिकारी विजय तेवतिया और भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस.बी. सुधार शामिल थे.

गुजरात में मवेशियों को होने वाले लम्पी वायरस की वजह से दूध देने वाले हजारों जानवरों की मौत हो चुकी है. गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल के मुताबिक इस वायरस से संक्रमित 1,240 मवेशियों की मौत हो चुकी है. लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया है कि मरने वाले मवेशियों की संख्या 25 से 30 गुना ज़्यादा है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस दावा कर रही है कि गुजरात सरकार मरने वाले मवेशियों की असल संख्या छिपा रही है.

क्या है लम्पी वायरस?

गौरतलब है कि पाकिस्तान के रास्ते भारत में आने वाला यह खतरनाक और संक्रामक वायरस राजस्थान और गुजरात में दूध देने वाले जानवरों को अपना शिकार बना रहा है. इसकी चपेट में आने वाले ज्यादातर जानवरों की मौत हो रही है. यह मवेशियों की त्वचा से जुड़ी एक बीमारी है. इसे ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ भी कहते हैं. दुनिया में मंकीपॉक्स के बाद अब यह दुर्लभ संक्रमण वैज्ञानिकों की चिंता का कारण बना हुआ है.

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