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स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाने का विरोध, जमीयत उलेमा ने गुजरात HC में दाखिल की याचिका

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अहमदाबाद: गुजरात के स्कूलों में भगवद गीता पढ़ाने पर गुजरात हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. हालंकि हाईकोर्ट ने अब तक सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. वहीं, गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए 18 अगस्त तक का समय दिया है, जमीयत उलेमा ए हिंद ने सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

जमीयत ने हाईकोर्ट में दायर की अर्जी

जमीयत ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है, सरकार ने स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाने का आदेश दिया है. इस निर्णय के चलते छात्रों को विभिन्न श्लोकों और मंत्रों का पाठ करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. यह समानता और धर्म की स्वतंत्रता के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है. जमीयत उलेमा ने सरकार के फैसले पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की है.

हाईकोर्ट का स्टे से इनकार

मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता संगठन को तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि वह पहले मामले में सरकार के पक्ष को सुनेगी. उसके बाद ही यह तय होगा कि आदेश जारी करना है या नहीं. इसके बाद हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार को 18 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

स्कूलों में गीता पढ़ाने का सरकार का आदेश

गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने हाल ही में स्कूली छात्रों को मानवीय मूल्यों को विकसित करने और उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ने के लिए भागवत गीता सिखाने की घोषणा की थी. ये पाठ स्कूल में प्रार्थना के समय पढ़ाए जाते हैं. साथ ही इस श्लोक का सार भी शिक्षकों द्वारा समझाया जाता है. जमीयत-ए-उलेमा ने स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाने का विरोध किया है. संगठन से जुड़े मौलानाओं का कहना है कि भगवत गीता के माध्यम से मुसलमानों और अन्य धर्मों के छात्रों को हिंदू धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसलिए इसे रोका जाना चाहिए.

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