अहमदाबाद: साल 2020 धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर है. देश और दुनिया के लोग नए साल का इंतजार कर रहे हैं. कोरोना महामारी की वजह से यह साल ज्यादातर लोगों के लिए अच्छा नहीं रहा.
कोरोना की वजह से लागू की गई तालाबंदी की वजह से एक लंबे अरसे के लिए घरों में कैद होकर रह गए थे. इतना ही नहीं तालाबंदी की वजह से सबसे ज्यादा श्रमिक वर्ग के लोग प्रभावित हुए थे.
खाने की तंगी से परेशान कुछ प्रवासी मजदूर तो पैदल अपने घरों को रवाना हो गए थे. Gujrat lockdown starvation
इस दौरान कुछ लोग घर पहुंचने में कामयाब हुए थे तो कुछ लोग घर पहुंचने के सपना के साथ इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. Gujrat lockdown starvation
लेकिन एक सर्वे में गुजरात के विकास का मॉडल एक बार फिर से खोखला साबित हुआ है.
सर्वे में सामने आया चौंकाने वाला खुलासा
कोरोना की वजह से देश में एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत दर्ज की जा चुका है. साल खत्म होने को है लेकिन अभी भी ज्यादातर लोगों की जिंदगी पटरी पर नहीं आ पाई है.
इसके साथ ही देश के अधिकांश हिस्सों में भुखमरी व्याप्त हो गई है. Gujrat lockdown starvation
अन्न सुरक्षा अभियान का सर्वे
कोरोना महामारी के बीच, गुजरात सरकार ने भूखमरी को मिटाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं. खाद्य सुरक्षा अभियान (गुजरात) के तहत हाल ही में किए गए हंगर वॉच सर्वे में खुलासा हुआ है कि तालाबंदी के दौरान 20.6 प्रतिशत घरों में अनाज की कमी होने के कारण खाना नहीं बन पाया था. Gujrat lockdown starvation
जबकि 21.8 फीसदी घरों में इस दौरान एक समय का भोजन भी नहीं बन पाया था यानी इनके घरों में चुल्हा जला ही नहीं था. अहमदाबाद, आणंद, भरूच, भावनगर, दाहोद, मोरबी, नर्मदा, पंचमहल और वडोदरा सहित नौ जिलों में सर्वे सितंबर और अक्टूबर के बीच सर्वे किया गया था.
तालाबंदी के पांच महीने बाद भी भुखमरी की स्थिति Gujrat lockdown starvation
हंगर वॉच सर्वे में खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन खत्म होने के पांच महीने बाद भी, भूखमरी की स्थिति अभी भी बहुत गंभीर है. जबकि बड़ी संख्या के घरों में (62 प्रतिशत) की आय में गिरावट आई है.
अनाज (53 फीसदी), दालें (64 फीसदी), सब्जियां (73 फीसदी) और अंडे / मांसाहारी (71 फीसदी), पोषण गुणवत्ता (71 फीसदी) की आपूर्ति कम रही.
इसके अलावा, 45 प्रतिशत परिवारों को भोजन खरीदने के लिए पैसा उधार लेने की जरूरत पड़ी थी. Gujrat lockdown starvation
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