- इंसाफ नहीं मिलने पर बलात्कार पीड़िता ने खुद को किया आग के हवाले
- दुष्कर्म पीड़िता को पेट्रोल डालकर जिंदा चलाने की कोशिश
- हाथरस बलात्कार मामले में भी पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे हैं सवाल
- यह तीनों चौंकाने वाले मामले एसपी विक्रांत वीर सिंह के कार्यकाल में हुआ
- क्या योगी सरकार एसपी के कामकाज की जांच के लिए एसआईटी गठित करेगी
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वैसे तो अपराध पर काबू पाने का दावा कर रही है. राज्य के अपराधियों की कमर को तोड़ने के लिए तरह-तरह का कानून बना रही है.
बावजूद इसके राज्य में आपराधिक गतिविधियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.
ऐसे में उत्तर प्रदेश के हाथरस में होने वाले दर्दनाक हादसे के बाद एक बार फिर से योगी की पुलिसिया कार्रवाई सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है.
एसपी विक्रांत वीर सिंह के कार्यकाल में तीन बलात्कार की घटना
मिल रही जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश हाथरस के एसपी विक्रांत वीर सिंह के कुछ दिनों के कार्यकाल में राज्य में तीन रेप की घटनाएं सामने आई हैं.
बस जिले बदले है लेकिन अपराध उतने ही संगीन हैं. पहला मामला सामने आया था. 16 दिसंबर 2019 में न्याय की उम्मीद को लेकर बलात्कार पीड़िता एसपी ऑफिस पहुंची और खुद को आग के हवाले कर दिया.
पीड़िता ने पुलिस पर आरोप लगाया कि बलात्कार का आरोपी अवधेश सिंह के खिलाफ पुलिस शिकायत तो दर्ज कर ली है लेकिन कार्रवाई नहीं कर रही.
हसनगंज थाना क्षेत्र के शेखूपुर गांव के रहने वाली एक युवती हाथ में मिट्टी का तेल लेकर 16 दिसंबर की सुबह करीब 11:00 बजे एसपी कार्यालय पहुंची. देखते ही देखते उसने खुद पर केरोसिन डालकर आग लगा ली.
पीड़िता आग लगाने के बाद सीधे एसपी कार्यालय में जलती हुई घुस रही थी. मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने आग को बुझाया उसके बाद अस्पताल में इलाज के लिए पीड़िता को भर्ती कराया गया.
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आरोपियों ने बलात्कार पीड़िता को जिंदा जलाया
उन्नाव के एसपी विक्रांत वीर सिंह के कार्यकाल में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया था. बलात्कार पीड़िता आरोपियों के खिलाफ चलने वाले मुकदमा की पेशी के लिए जा रही थी.
6 दिसंबर 2019 को उन्नाव के बिहार थाना क्षेत्र में मौजूद सिंदुपुर गांव में रहने वाली दुष्कर्म पीड़िता को सुबह 4 बजे कुछ लोगों ने पेट्रोल डालकर जिंदा जलाने की कोशिश की.
इस हादसे में पीड़िता 90 फीसदी जल गई. पीड़िता ने बयान दिया कि वह गवाही देने के लिए रायबरेली जा रही थी इसी दौरान गौरा मोड़ पर गांव के हरिशंकर त्रिवेदी, किशोर शुभम, शिवम, उमेश ने घेर लिया और सिर पर डंडे से और गले पर चाकू से वार किया.
बलात्कार पीड़िता ने बताया कि पूर्व में आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया था. हादसे में 90 फीसदी जल चुकी युवती इंसाफ की राह देखते हुए इस दुनिया को अलविदा कह चुकी है.
14 सितंबर 2020
अब बात करते हैं 14 सितंबर 2020 को हुए हाथरस के घटना की जहां एक दलित युवती को उसके गांव में ही रहने वाले लोगों ने अपनी हवस का शिकार बनाया.
वह हर दिन की तरह उस दिन भी जानवरों के लिए चारा लेने अपनी मां के साथ खेत गई थी. इसी दौरान चार मनचलों ने उसे खेत में खींच लिया और उसके साथ गैंगरेप किया.
इतना ही नहीं आरोपियों ने पीड़िता की जीभ को काट दिया और रीढ़ की हड्डी भी तोड़ दिया था. इस हादसे के दौरान भी एसपी के तौर पर 2014 बैच के आईपीएस विक्रांत वीर सिंह अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
पुलिस की कार्रवाई पर इसलिए भी सवाल उठ रहा है क्योंकि पहले तो पुलिस मामला ही नहीं दर्ज कर रही थी जिसके बाद ग्रामीणों ने एसपी ऑफिस का घेराव किया था.
जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था. जिंदगी का जंग हारने के बाद पीड़िता के शव को पुलिस उसके गांव पहुंची इस दौरान गांव के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया.
पीड़िता के परिजन ने मांग किया कि उसके शव को रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करना चाहते हैं. लेकिन पुलिस इस मांग को ठुकराते हुए रात ढ़ाई बजे उसका अंतिम संस्कार जबरदस्ती करवा दिया.
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