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लखनऊ में सार्वजनिक पोस्टर पर HC सख्त, पूछा- कानून के किस प्रावधान के तहत लगा पोस्टर

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संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ 19 दिसंबर 2019 को राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं में सार्वजनिक संपत्ति को पहुंची क्षति की भरपाई के लिए आरोपियों के फोटो वाली होर्डिंग जगह-जगह लगवाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए योगी सरकार को नोटिस जारी किया है. उन्होंने पूछा कि किस नियम के तहत यह पोस्टर लगाए गए हैं. इसके अलावा कोर्ट ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को तलब किया है. आरोपियों के पोस्टर लगाने को लेकर हाईकोर्ट में सुबह 10 बजे सुनवाई होनी थी लेकिन अब उसे 3 बजे तक टाल दिया है. जिसमें लखनऊ के डीएम और कमिश्नर पेश होंगे.

मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज रविवार का अवकाश होने के बावजूद इस मामले पर सुनवाई करेगी. हाईकोर्ट का मानना है कि सार्वजनिक स्थान पर संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है. यह राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लंघन है.

आपको बता दें कि पांच मार्च को सीएए व एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में सरकारी व निजी संपत्तियों की भरपाई के लिए प्रशासन ने चिह्नित 53 उपद्रवियों से वसूली का अभियान शुरू कर दिया है. इसके लिए प्रशासन ने क्षेत्रवार डुग्गी पिटवाना शुरू कर दिया है. राजधानी के प्रमुख चौराहों पर उपद्रवियों की तस्वीर वाली होर्डिंग भी लगवाई गई है.

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